उत्तर प्रदेश का घोसी जहां हुए उपचुनाव के नतीजों पर हुए पूरे देश की नजरे थी क्योंकि इस उप चुनाव को 2024 के महासमर का सेमीफाइनल माना जा रहा था।
दरअसल घोसी उपचुनाव होने का कारण था इस विधानसभा सीट के विधायक दारा सिंह चौहान ने समाजवादी पार्टी का साथ छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया था।
पहले योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री वन और पर्यावरण जैसा महत्वपूर्ण विभाग संभालने वाले दारा सिंह साल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पार्टी छोड़कर समाजवादी पार्टी में चले गए लेकिन जब समाजवादी पार्टी की सरकार नहीं बनी तो दारा सिंह फिर से घर वापसी यानी कि बीजेपी में आ गए बीजेपी ने उन्हें घोसी से टिकट दे दिया और शायद यही कारण रहा कि वह घोसी से हार गए क्योंकि उनका दल बदलना इतनी जल्दी हुआ कि शायद वहां की जनता यह समझ ही नहीं पाई कि वह समाजवादी पार्टी में है या भारतीय जनता पार्टी में है।
समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार सुधाकर सिंह ने 42759 वोटो से बीजेपी के उम्मीदवार दारा सिंह चौहान को शिकस्त दी।
साल 2009 में दारा सिंह ने बीएसपी से चुनाव लड़कर लोकसभा में एंट्री की थी साल 2014 में बीएसपी के टिकट पर लोकसभा सीट हार गए।
2015 में उन्होंने बीजेपी का दामन थामा 2017 के चुनाव में मधुबन विधानसभा से टिकट मिला और वह विधायक ही नहीं बल्कि मंत्री भी बने, फिर साल 2022 में सियासी तापमान को भांप नहीं सके समाजवादी पार्टी से विधायक तो बने लेकिन उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया।
इसके अलावा अगर देखा जाए तो भारतीय जनता पार्टी की हार का कारण मुख्तार अंसारी का प्रभुत्व भी रहा है, मुख्तार मऊ से पांच बार विधायक रह चुके हैं, उनके बेटे सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी से मौजूदा विधायक है, इसलिए मुस्लिम वोटरर्स ने एकमुश्त होकर भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ वोट दिए साल 2017 के विधानसभा चुनाव में बीएसपी ने अपना कैंडिडेट अब्बास अंसारी को बनाया था उन्हें 81000 के लगभग वोट मिले थे हालांकि इस सीट के लिए तो यही समझा जा रहा है कि मुस्लिम वोट समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी सुधाकर सिंह के खाते में ही गए।
बीजेपी की हार का एक बड़ा कारण नगर विकास और बिजली जैसे महकमे को संभालने वाले अरविंद शर्मा से नाराजगी भी माना जा रहा है।
आईएस नेता बने अरविंद शर्मा भूमिहार जाति से आते हैं वे मऊ जिले के ही रहने वाले हैं माना जाता है कि अरविंद शर्मा अपनी ईमानदारी के कारण नरेंद्र मोदी के भी चहेते रहे हैं इसलिए उनकी राजनीति में एंट्री भी मोदी के आशीर्वाद से ही हुई है हालांकि मंत्री जी तो बहुत ईमानदार है लेकिन प्रशासनिक मशीनरी भ्रष्टाचार में लिप्त है तभी तो नगर पालिका की हालत यह है कि ठेकेदारों को कमीशन 25 फ़ीसदी देना होता था अब वह 40फीसदी हो गया है। महंगाई से त्रस्त किसान के लिए सरकार नहर में पानी तक की सुविधा नहीं करवा पा रही है और इन सब का असर घोसी सीट पर देखने को मिला
इसके अलावा घोसी उपचुनाव में अखिलेश यादव सक्रियता से अपना काम करते नजर आए अखिलेश ने घोसी विधानसभा को अपनी इज्जत का सवाल बना लिया था अखिलेश ही नहीं उनके चाचा शिवपाल भी क्षेत्र में लगातार डटे रहे।
एक जो बड़ा कारण माना जा रहा है वह है ठाकुर वोट हमेशा से यही समझ गया है कि उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के चलते ठाकुर वोट बीजेपी के खाते में जाते हैं लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि इस बार घोसी उपचुनावों में ठाकुर मतदाता घोसी विधानसभा क्षेत्र के ही रहने वाले सुधाकर सिंह के खाते में गए क्योंकि दारा सिंह चौहान पड़ोस की मधुबनी विधानसभा के रहने वाले हैं। अंदर खाने खबरें यह भी थी कि सीएम योगी आदित्यनाथ दारा सिंह चौहान और ओमप्रकाश राजभर को पसंद नहीं करते हैं और योगी इन दोनों नेताओं की बीजेपी में एंट्री भी नहीं चाहते थे।
इसके अलावा बीएसपी और कांग्रेस ने भी इस सीट से अपना प्रत्याशी खड़ा नहीं किया था कांग्रेस और वामपंथियों ने अपना समर्थन समाजवादी पार्टी को देने का ऐलान कर दिया था तो वही छोटी पार्टियों भी समाजवादी पार्टी के लिए खुलकर प्रचार कर रही थी।
उत्तरप्रदेश की घोसी सीट को समाजवादी पार्टी ने इंडिया बनाम एनडीए का सवाल मान लिया था।