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ब्रिक्‍स 2023 समिट भारत के लिए रखता है काफी मायने–

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कूटनीति की दुनिया में नया कदम लेते हुए साउथ अफ्रीका पहुंच गए हैं वह ब्रिक्स समेत में शामिल होंगे आपको बता दे कि ब्रिक्स समेत लगभग तीन साल बाद ऐसा हो रहा है जहां ब्रिक्स देशों के राष्ट्र प्रमुख आमने-सामने बैठकर चर्चा करेंगे क्योंकि कोरोना जैसी महामारी के कारण ब्रिक्‍स की बैठकें ऑनलाइन हो रही थी अफ्रीका में होने वाली ब्रिक्स समिट की बैठक काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें भारत और चीन के बीच अहम मुद्दे उठाए जाएंगे।

आईए जानते हैं कि ब्रिक्स 2023 समिट में ऐसा क्या खास है कि जिस पर पूरी दुनिया की नजरे लगी हुई है–
ब्राजील, रूस, इंडिया, चाइना, साउथ अफ्रीका यानी कि ब्रिक्स की बैठक साउथ अफ्रीका में 22 से 24 अगस्त के बीच पांच देशों के प्रमुख करेंगे। इसमें कहीं अहम मुद्दों पर मंथन किया जाएगा यह बैठक साउथ अफ्रीका के सेंड टाउन में होगी गौरतलब है कि कोविड महामारी की वजह से पिछली तीन बैठक के ऑनलाइन हुई थी लेकिन इस बार एक साथ बैठकर आमने-सामने चर्चा होगी। बैठक के दो अहम एजेंडे है ब्रिक्स ग्रुप का विस्तार करना और आपस में अपनी ही ई करंसी में बिजनेस करना। भारत की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस बैठक में हिस्सा लेने के लिए साउथ अफ्रीका पहुंच गए हैं भारत के लिए यह बैठक क्यों महत्वपूर्ण है इस वक्त पूरी दुनिया की नजरें भारत पर टिकी हुई है क्योंकि वह अर्थव्यवस्था में लगातार तेजी से आगे बढ़ रहा है भारत की कोशिश इन देशों में यूपीआई सिस्टम रुपए कार्ड और बाकी ई से जुड़ी चीजों को एक्टिव करना है इसी के साथ भारत के लिए यह बैठक इसलिए आए हमें क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच द्वीपक्षीय वार्ता भी हो सकती है जिसमें लगातार पिछले दो-तीन सालों से भारत और चीन बॉर्डर पर जो विवाद चल रहा है जिसमें गलवान घाटी की घटना हुई और एलएसी पर भी हालत ठीक नहीं है हालांकि सेना और विदेश मंत्रालय के लेवल पर इसी बात को सुलझाने की कोशिश चल रही है लेकिन कोई बड़ी सफलता अभी तक हाथ नहीं लगी है ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी और शी जिनपिंग के बीच इस अहम मुद्दे पर चर्चा हो सकती है साउथ अफ्रीका में मौजूद चीनी एंबेसडर ने यह बयान भी दिया है कि हमें उम्मीद है कि दोनों देश साथ आएंगे और सीधी बातचीत करेंगे आपको बता दें कि दोनों देशों के राष्ट्र प्रमुख के बीच काफी लंबे वक्त से द्विपक्षी वार्ता नहीं हुई है पिछले साल नवंबर में इंडोनेशिया में जी-20 समिट हुआ था उसमें दोनों नेताओं ने हाथ मिलाया था लेकिन कोई बड़ी बातचीत नहीं हो पाई थी और ऐसे में अगर ब्रिक्स सबमिट में दोनों नेता मिलते हैं तो उम्मीद है की लीक पर और गलवान को लेकर जो विवाद चल रहा है उसे पर बातचीत होगी और एलएसी पर हजारों की संख्या में मौजूद सैनिकों को पीछे हटवाने की बात को भी प्रधानमंत्री की तरफ से कहा जा सकता है।

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