शुक्रवार (19 जनवरी) को कांग्रेस ने वन नेशन, वन इलेक्शन को लेकर अपना रुख साफ कर दिया। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने एक राष्ट्र, एक चुनाव को लेकर कहा कि हम इसके खिलाफ हैं। भारत जैसे देश में इसकी कोई जगह नहीं है। एक राष्ट्र, एक चुनाव को लेकर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति को लिखे पत्र में खड़गे ने कहा, “संसदीय शासन व्यवस्था अपनाने वाले देश में एक साथ चुनाव की अवधारणा का कोई स्थान नहीं है। उनकी पार्टी एक राष्ट्र, एक चुनाव के विचार का कड़ा विरोध करती है।”
समिति के सचिव नीतेन चंद्र को भेजे सुझाव में खड़गे ने आगे कहा, ”एक साथ चुनाव कराने का विचार संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ है। अगर एक साथ चुनाव की व्यवस्था लागू करनी है तो संविधान के बुनियादी ढांचे में व्यापक बदलाव की जरूरत होगी।”
मल्लिकार्जुन खरगे ने क्या कहा?
खड़गे ने 17 बिंदुओं में अपने सुझाव समिति को भेजे हैं। उन्होंने कहा, ”कांग्रेस और देश की जनता की ओर से मैं उच्च स्तरीय समिति (कोविदं) के अध्यक्ष से विनम्रतापूर्वक अनुरोध करता हूं कि संविधान और संसदीय लोकतंत्र को नष्ट करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा उनके व्यक्तित्व और भारत के पूर्व राष्ट्रपति के पद का दुरुपयोग न होने दें। उन्होंने आगे कहा, ‘कांग्रेस एक राष्ट्र, एक चुनाव के विचार का कड़ा विरोध करती है। एक संपन्न और मजबूत लोकतंत्र को बनाए रखने के लिए, यह महत्वपूर्ण है कि इस पूरे विचार को त्याग दिया जाए।”
ममता बनर्जी ने क्या राय दी है?
समिति ने हाल ही में राजनीतिक दलों को पत्र लिखकर एक साथ चुनाव कराने के विचार पर उनकी राय मांगी थी। राय मांगे जाने पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) प्रमुख ममता बनर्जी ने समिति को पत्र लिखकर कहा था, ”मैं एक राष्ट्र, एक चुनाव के खिलाफ हूं। साल 1952 में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ हुए थे। यह कई वर्षों तक चलता रहा, लेकिन बाद में इसे कायम नहीं रखा जा सका।”
बता दें कि समिति का काम लोकसभा, विधानसभा, नगर निकाय और पंचायतों के चुनाव एक साथ कराने की संभावना पर विचार करना है।