3D प्रिंटेड डाकघर का उद्घाटन बेंगलुरु में हुआ है। यह भारत का पहला 3D प्रिंटेड डाकघर है,जिसका उद्घाटन बेंगलुरु में केंद्र मंत्री अश्विनी वैष्णव ने किया तकनीक का उपयोग करके रोबोटिक प्रिंटर से निर्मित डाकघर कंप्यूटर कृत 3D मॉडल ड्राइंग इनपुट के मुताबिक कंक्रीट को परत दर परत जमा करता है। आईआईटी मद्रास के टेक्निकल मार्गदर्शन में डाकघर भवन का निर्माण एल&टी कंपनी ने मात्र 45 दिन में कर दिया है। अधिकारियों की माने तो इसकी लागत और वक्त की बचत के कारण 3D कंक्रीट प्रिंटिंग तकनीक पारंपरिक निर्माण प्रथाओं के लिए विकल्प भी हो सकती है। आइए आपको बताते हैं कि 3D प्रिंटिंग क्या होती है–
मकान बनाने में 3D प्रिंटिंग टेक्निक कंक्रीट को परतों में जमा करने दीवारें फर्श और छत बनाने के लिए रोबोटिक का यूज करती है 2000 वर्ग फुट के घर के निर्माण में करीब 4 महीने लगते हैं जबकि 3D प्रिंटिंग तकनीक से बनाने में मात्र 7 से 10 दिन ही इसमें लगते हैं। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव उनके मुताबिक डाकघर की इमारत विकास और हमारी अपनी तकनीक विकसित करने की भावना को प्रदर्शित करती है कुछ ऐसा करना जो पहले के वक्त में असंभव माना जाता था,उन्होंने कहा कि 3D प्रिंटेड कंक्रीट बिल्डिंग का निर्माण शानदार है।
प्रधानमंत्री मोदी ने भी ट्वीट कर इस कोशिश की सराहना करते हुए कहा कि यह आत्मनिर्भर भारत की भावना का भी प्रतीक है ट्विटर पर मोदी ने कहा कि प्रत्येक भारतीयों को कैंब्रिज ले आउट बेंगलुरु में भारत के पहले 3D मुद्रित डाकघर को देखकर गर्व होगा।
देश का पहला थ्री-डी प्रिंटेड डाकघर
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