कई बार यह मांग उठाई गई है लोकसभा और विधानसभा का चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम आयु सीमा कम की जाए। जब किसी व्यक्ति के बालिग होने की और उसे अपने मत का उपयोग करने की उम्र 18 साल है तो चुनाव लड़ने की उम्र को भी 18 साल किया जाए। अब इसको लेकर एक संसदीय समिति का यही कहना है कि इससे युवाओं को लोकतंत्र में शामिल होने के समान अवसर मिल जाएंगे, मौजूदा ढांचे की बात की जाए तो लोकसभा विधानसभा का चुनाव लड़ने के लिए की उम्र कम से कम 25 साल होनी चाहिए और वहीं राज्य सभा और राज्य विधान परिषद का सदस्य बनने के लिए न्यूनतम आयु 30 साल होनी है कोई व्यक्ति अपने मत का प्रयोग 18 साल की उम्र होने पर करता है। कानून और कार्मिक मामलों पर संसद की स्थाई समिति ने अब इस बात की सिफारिश की है कि लोकसभा चुनाव के लिए न्यूनतम उम्र 25 से 18 साल कर दी जाए और उन्होंने ब्रिटेन ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों का हवाला भी दिया है इन देशों में न्यूनतम आयु सीमा 18 वर्ष है। इन देशों में युवाओं की विश्वसनीय राजनीतिक भागीदारी देखी गई है। सुशील मोदी की अध्यक्षता वाली समिति ने विधानसभा चुनावों में भी न्यूनतम आयु करने की सिफारिश की है। युवाओं में बढ़ती राजनीतिक चेतना प्रतिनिधि बड़ी मात्रा में सबूतों से होती है, हालांकि चुनाव आयोग इस प्रस्ताव के पक्ष में नहीं है। चुनाव आयोग पहले भी आयु सीमा घटाने पर विचार तो कर चुका है लेकिन फिलहाल वह उसके पक्ष में दिखाई नहीं दे रहा है,उसका यह कहना है कि 18 साल की उम्र में लोकसभा विधानसभा और स्थानीय निकायों की जिम्मेदारी जरूरत के मुताबिक अनुभव परिपक्वता की कमी रहती है। इसलिए आयोग का कहना है कि वर्तमान आयु सीमा ही सही है, समिति की तरफ से यह भी सुझाव दिया गया है कि चुनाव आयोग और सरकार को युवाओं को राजनीतिक भागीदारी के लिए जरूरी ज्ञान और कौशल से लैस करने के लिए व्यापक नागरिक शिक्षा कार्यक्रम प्रदान करने को प्राथमिकता देनी चाहिए साथी फिनलैंड की नागरिकता शिक्षा के सफल मॉडल को भी अपनाने की सलाह दी गई है।