Wednesday, February 5, 2025
14.8 C
Faridabad
इपेपर

रेडियो

No menu items!
HomeEDITORIAL News in HindiEditorial: जीवाश्म ईंधन का संकट और स्टॉकटेक समझौता

Editorial: जीवाश्म ईंधन का संकट और स्टॉकटेक समझौता

Google News
Google News

- Advertisement -

देश रोज़ाना: दुबई में सीओपी 28 शिखर सम्मेलन के अंतिम सत्र में 200 देशों के बीच ऐतिहासिक पहला ग्लोबल स्टॉकटेक जलवायु समझौता इस मायने में महत्वपूर्ण रहा कि सभी देशों ने एक स्वर में जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल को उचित और न्यायसंगत तरीके से खत्म करने पर सहमति जताई है। उम्मीद किया जाना चाहिए कि सभी देश कोयले से बिजली उत्पादन को चरणबद्ध तरीके से घटाने की पहल तेज करेंगे। सम्मेलन में पेरिस समझौते को ध्यान में रखते हुए तापमान में वृद्धि 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के उद्देश्य से ग्रीनहाउस उत्सर्जन में ‘गहरी, तीव्र और निरंतर’ कटौती पर भी सहमति जताई गई है।

इस ऐतिहासिक समझौते में निर्धारित लक्ष्यों को हासिल करने के लिए आठ सूत्री योजना का रोडमैप तैयार है। इसके मुताबिक 2050 तक नेट जीरो उत्सर्जन के निमित्त जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल में कमी लाना प्रस्तावित है। एक आंकड़े के मुताबिक अब तक वायुमंडल में 36 लाख टन कार्बन डाईआॅक्साइड की वृद्धि हो चुकी है और वायुमंडल से 24 लाख टन आॅक्सीजन समाप्त हो चुकी है। अगर यही स्थिति रही तो 2050 तक पृथ्वी के तापक्रम में लगभग चार डिग्री सेल्सियस की वृद्धि तय है। औद्योगीकरण की शुरूआत से लेकर अब तक तापमान में 1.25 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हो चुकी है। आंकड़ों के मुताबिक 45 वर्षों से हर दशक में तापमान में 0.18 डिग्री सेल्सियस का इजाफा हुआ है। आईपीसीसी के आकलन के मुताबिक 21वीं सदी में पृथ्वी के सतह के औसत तापमान में 1.1 से 2.9 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोत्तरी होने की आशंका है।

वैज्ञानिकों का कहना है कि पृथ्वी का तापमान जिस तेजी से बढ़ रहा है, उस पर काबू नहीं पाया गया तो अगली सदी में तापमान 60 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक अगर पृथ्वी के तापमान में मात्र 3.6 डिग्री सेल्सियस तक वृद्धि होती है तो आर्कटिक के साथ-साथ अंटाकर्टिका के विशाल हिमखण्ड पिघल जाएंगे। देखा भी जा रहा है कि बढ़ते तापमान के कारण उत्तरी व दक्षिणी ध्रुव की बर्फ चिंताजनक रुप से पिघल रही है।

वर्ष 2007 की इंटरगवर्नमेंटल पैनल की रिपोर्ट के मुताबिक बढ़ते तापमान के कारण दुनिया भर के करीब 30 पर्वतीय ग्लेशियरों की मोटाई अब आधे मीटर से कम रह गई है। हिमालय क्षेत्र में पिछले पांच दशकों में माउंट एवरेस्ट के ग्लेशियर दो से पांच किमी सिकुड़ गए हैं। 76 फीसदी ग्लेशियर चिंताजनक गति से सिकुड़ रहे हैं। कश्मीर और नेपाल के बीच गंगोत्री ग्लेशियर भी तेजी से सिकुड़ रहा है। अनुमानित भूमंडलीय तापन से जीवों का भौगोलिक वितरण भी प्रभावित हो सकता है। पर्यावरणविदों की मानें तो बढ़ते तापमान के लिए मुख्यत: ग्रीन हाउस गैस, वनों की कटाई और जीवाश्म ईंधन का दहन है। तापमान में कमी तभी आएगी, जब वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में कमी होगी।

आंकड़ों पर गौर करें तो 2000 से 2010 तक वैश्विक कार्बन उत्सर्जन की दर प्रतिवर्ष तीन प्रतिशत रही, जबकि भारत के कार्बन उत्सर्जन में यह वृद्धि पांच प्रतिशत रही। कार्बन उत्सर्जन के लिए सर्वाधिक कोयला जिम्मेदार है। गौरतलब है कि इस संधि पर 192 देशों ने हस्ताक्षर किए। 126 देश इसे अंगीकार कर चुके हैं। भारत ने दो अक्टूबर, 2016 को इसे अंगीकार करके अन्य देशों को भी अंगीकार करने की राह दिखाई। फिर कुछ अन्य देशों द्वारा इसे अंगीकार किए जाने पर चार नवंबर, 2016 को यह प्रभावी हुआ। बेहतर होगा कि वैश्विक समुदाय कार्बन उत्सर्जन पर नियंत्रण के लिए ग्लोबल स्टॉकटेक जलवायु समझौता के लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में आगे बढ़े। (यह लेखक के निजी विचार हैं।)

  • अरविंद जयतिलक
- Advertisement -
RELATED ARTICLES
Desh Rojana News

Most Popular

Must Read

औषधियों की खोज में लगे रहते थे चरक

बोधिवृक्षअशोक मिश्र भारतीय आयुर्वेद में महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले राजवैद्य चरक पंजाब के कपिल स्थल नामक गांव में पैदा हुए थे। ऐसा माना जाता है।...

विधानसभा अध्यक्ष हरविंद्र कल्याण के प्रयास लाए रंग, घरौंडा के राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय का नाम होगा देवी अहिल्या होल्कर विद्यालय

*क्षेत्र की लंबे समय से थी मांग, विधानसभा अध्यक्ष के प्रयासों से विद्यालय शिक्षा निदेशालय ने जारी किए आदेश*करनाल, 4 फरवरी- हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष श्री...

सुरक्षा व्यवस्था के मध्यनजर पुलिस आयुक्त ने किया सुरजकुण्ड मेला परिसर का निरक्षण

फरीदाबाद- बता दे कि 07 फरवरी से शुरु होने वाले सुरजकुण्ड मेले के मध्य नजर पुलिस आयुक्त ने पुलिस टीम के साथ सुरजकुण्ड मेला...

Recent Comments