मणिपुर की जातीय हिंसा ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है सड़क संसद सोशल मीडिया इसको लेकर बवाल मचा पड़ा है, मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा है जो पहुंचना भी चाहिए क्योंकि मामला इतना गंभीर है कि जिसका त्वरित हल नहीं निकाला गया तो आने वाले दिनों में भयंकर रूप ले लेगा अब तो इस हिंसा का असर देश के आर्थिक बाजार पर भी पड़ रहा है क्योंकि मणिपुर से कई ऐसी चीजों का एक्सपोर्ट किया जाता है जो अमेरिका यूरोप से लेकर सिंगापुर तक डिमांड में रहती है लेकिन जब से मणिपुर में जातीय हिंसा चल रही है तबसे इन बाजारों में प्रोडक्ट नहीं पहुंच पा रहा है और अब व्यापार ठप होता जा रहा है मणिपुर के लेरियम, मॉइरेंगफी,मॉइरेंगफी, लॉसिंगफी और फानेक जैसे फैब्रिक की मांग ना केवल देश में बल्कि अमेरिका यूरोप से लेकर सिंगापुर तक में मांग रहती है। लेकिन इतने महीनों से यह सामान एक्सपोर्ट नहीं हो पा रहा है और लगभग राज्य का लगभग प्रदेश का 80 फ़ीसदी एक्सपोर्ट इस जातीय हिंसा की आग में जल चुका है, हिंसा के कारण बैंक, एटीएम, सड़कें सब बंद पड़ा है सड़क बंद होने से ट्रक नहीं चल रहे हैं और मोरेह लैंडपोर्ट पर आना जाना बंद कर रखा है और इसी वजह से प्रदेश के चार हजार 4,62,000 बुनकरों की हालत खराब स्थिति में पहुंच गई है और तो और मणिपुर हथकरघा उद्योग के लिए माना जाता है लेकिन 2,80,000 से भी ज्यादा हथकरघा उद्योग बंद पड़ा हुआ है गौरतलब है कि हथकरघा उद्योग में मणिपुर देश में चौथा स्थान रखता है देश की दूसरी बड़ी बुनकरों की आबादी यहीं पर रहती है मुंबई दिल्ली में हैंडलूम का जो बिजनेस चलता है उसका सामान भी मणिपुर से एक्सपोर्ट होता है जो फिलहाल नहीं हो रहा है। मणिपुर में हालात बद् से बद्तर होते जा रहें है। सवाल तो ये है कि अगर कुछ दिनों में हालात सामान्य हो भी गए तो इस आर्थिक संकट से कैसे उबरेंगें।
हिंसा का असर व्यापार पर—-
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