चुनाव आयोग (ईसी) ने झारखंड सरकार को आदेश दिया है कि वह अनुराग गुप्ता को तुरंत कार्यकारी पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के पद से हटा दे। इस आदेश के पीछे गुप्ता के खिलाफ पूर्व में आई शिकायतें हैं। सूत्रों के अनुसार, आयोग ने यह निर्देश भी दिया है कि गुप्ता की जगह उस विभाग में उपलब्ध सबसे वरिष्ठ डीजीपी स्तर के अधिकारी को जिम्मेदारी सौंपी जाए।
यह कदम उस समय उठाया गया है जब राज्य में विधानसभा चुनाव की तैयारियां जारी हैं। झारखंड विधानसभा चुनाव दो चरणों में 13 और 20 नवंबर को होंगे, और पहले चरण की नामांकन प्रक्रिया अब शुरू हो चुकी है। पिछले चुनाव में गुप्ता पर कई शिकायतें आई थीं, विशेषकर झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) द्वारा उन पर पक्षपातपूर्ण आचरण का आरोप लगाया गया था। इसके बाद, उन्हें झारखंड के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (विशेष शाखा) के पद से मुक्त कर दिया गया था, और तब से उनकी नियुक्ति दिल्ली में रेजिडेंट कमिश्नर के कार्यालय में की गई थी। चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक उन्हें झारखंड लौटने से भी रोक दिया गया था।
गुप्ता पर आरोप केवल वर्तमान मामले तक सीमित नहीं हैं। 2016 में राज्यसभा उपचुनाव के दौरान भी उन पर पद का दुरुपयोग करने के आरोप लगे थे। उस समय वे अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक के पद पर थे, और चुनाव आयोग ने उनके खिलाफ जांच समिति गठित की थी। इस जांच के परिणामस्वरूप, विभागीय जांच के लिए उनके खिलाफ आरोप पत्र जारी किया गया था। इसके बाद, जगन्नाथपुर थाने में 2018 में उनके खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज की गई थी।
2021 में झारखंड की झामुमो सरकार ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 17 (ए) के तहत गुप्ता के खिलाफ जांच की अनुमति दी। चुनाव आयोग का यह हालिया फैसला उनकी पूर्ववर्ती शिकायतों और आरोपों को देखते हुए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, खासकर चुनावी माहौल में। गुप्ता के हटने से पुलिस प्रशासन में एक नई दिशा प्राप्त होगी और चुनाव की निष्पक्षता को सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।