अखिल भारतीय सर्राफा संघ के अनुसार, गुरुवार को स्थानीय आभूषण विक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं की कमजोर मांग के चलते राष्ट्रीय राजधानी में सोने का भाव 350 रुपये गिरकर 77,350 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गया। बुधवार को सोने की कीमत 77,700 रुपये प्रति 10 ग्राम थी।
हालांकि, चांदी की कीमत में 300 रुपये की बढ़ोतरी हुई और यह 91,500 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई, जो पिछले सत्र में 91,200 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुई थी। स्थानीय बाजार में लगातार तीसरे दिन गिरावट दर्ज की गई, जहां 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना 350 रुपये घटकर 76,950 रुपये प्रति 10 ग्राम पर आ गया।
8 अक्टूबर से अब तक तीन सत्रों में सोने की कीमत में कुल 1,350 रुपये प्रति 10 ग्राम की गिरावट हो चुकी है। व्यापारियों के मुताबिक, इस गिरावट का मुख्य कारण स्थानीय आभूषण विक्रेताओं और स्टॉकिस्टों की कमजोर मांग है। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर दिसंबर डिलीवरी सोना अनुबंध 211 रुपये या 0.28 प्रतिशत बढ़कर 75,145 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गया।
दिसंबर डिलीवरी वाली चांदी अनुबंध की कीमत 313 रुपये या 0.35 प्रतिशत बढ़कर 89,185 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई। वैश्विक स्तर पर कॉमेक्स पर सोना वायदा 0.48 प्रतिशत बढ़कर 2,638.70 डॉलर प्रति औंस हो गया।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ कमोडिटी विश्लेषक सौमिल गांधी ने कहा कि गुरुवार को अमेरिकी डॉलर में तेजी और फेडरल रिजर्व के नीति निर्माताओं की आक्रामक टिप्पणियों के कारण सोने की कीमतों में हल्की गिरावट देखी गई। इन टिप्पणियों से ब्याज दरों में बड़ी कटौती की संभावना कम हो गई है।
जेएम फाइनेंशियल सर्विसेज के ईबीजी- कमोडिटी एवं करेंसी रिसर्च के उपाध्यक्ष प्रणव मेर के अनुसार, सोने में स्थिर लेकिन सकारात्मक रुझान के साथ कारोबार हो रहा है, क्योंकि निवेशक अमेरिकी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आंकड़ों का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति में कमी का कोई भी संकेत डॉलर के लिए सकारात्मक और सोने के लिए नकारात्मक होगा, क्योंकि इससे ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें और कम हो जाएंगी। लेकिन अगर मुद्रास्फीति बढ़ती है, तो सोने की कीमतों में तेजी आ सकती है।
एशियाई कारोबारी घंटों में चांदी वायदा 0.68 प्रतिशत बढ़कर 30.88 डॉलर प्रति औंस हो गई। शेयरखान बाय बीएनपी पारिबा के एसोसिएट वाइस प्रेसिडेंट प्रवीण सिंह ने कहा कि सोने के कारोबार में उतार-चढ़ाव की संभावना है, क्योंकि व्यापारी भू-राजनीतिक घटनाक्रमों और अमेरिकी सीपीआई डेटा पर बारीकी से नजर रख रहे हैं। इससे सोने की कीमतों में कुछ सुधार की उम्मीद की जा सकती है, लेकिन तेजी की संभावना सीमित रहेगी।