हाल ही में सामने आईं कुछ रिपोर्टों के अनुसार, मध्य-पूर्व के कुछ हिस्सों में उड़ान भर रहे नागरिक विमानों के नेविगेशन सिस्टम में गड़बड़ी हो रही है। इन विमानों के जीपीएस सिग्नल या तो पूरी तरह से गायब हो जा रहे हैं या फिर उन्हें गलत सिग्नल मिल रहे हैं, जिससे उनके सही स्थान का पता लगाना मुश्किल हो रहा है।
इस चिंताजनक स्थिति को देखते हुए भारतीय नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने सभी भारतीय विमान कंपनियों को एडवाइजरी जारी की है। इस एडवाइजरी में कहा गया है कि मध्य-पूर्व के उन क्षेत्रों में उड़ान भरते समय विशेष सतर्कता बरती जाए, जहां जीपीएस सिग्नल में गड़बड़ी की संभावना है।
विमानों के जीपीएस सिग्नल में गड़बड़ी का मुख्य कारण सिग्नल स्पूफिंग है। सिग्नल स्पूफिंग में एक शक्तिशाली जीपीएस ट्रांसमीटर का उपयोग किया जाता है, जो विमान के जीपीएस रिसीवर को गलत सिग्नल भेजता है। इससे विमान को लगता है कि वह अपने वास्तविक स्थान से कहीं और है।
सिग्नल स्पूफिंग से कई तरह के खतरे हो सकते हैं। सबसे बड़ा खतरा यह है कि विमान गलत रास्ते पर उड़ सकता है और किसी दूसरे विमान से टकराने का खतरा बढ़ सकता है। इसके अलावा, सिग्नल स्पूफिंग से विमान को अपहृत करने की कोशिश भी की जा सकती है।
भारतीय नियामक ने विमान कंपनियों को सलाह दी है कि वे अपने विमानों में जीपीएस सिग्नल की निगरानी के लिए अतिरिक्त उपकरण लगाएं। साथ ही, विमान कंपनियों को अपने पायलटों को सिग्नल स्पूफिंग का पता लगाने और उससे निपटने के लिए प्रशिक्षण देना चाहिए।
सिग्नल स्पूफिंग से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रयास किए जा रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO) ने विमान कंपनियों और नियामक संस्थाओं को सिग्नल स्पूफिंग से बचाव के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं।
हालांकि सिग्नल स्पूफिंग से निपटने के लिए अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है, लेकिन भारतीय नियामक की एडवाइजरी से विमान कंपनियों को सतर्क किया गया है और वे इस समस्या से निपटने के लिए बेहतर तैयारी कर सकेंगी।