हरियाणा (Haryana Election) में हाल ही में हुई करारी हार के बाद, कांग्रेस पार्टी को अपने इंडिया ब्लॉक सहयोगियों से अहम सुझाव मिले हैं। आगामी महाराष्ट्र, झारखंड और दिल्ली विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए, सहयोगियों ने कांग्रेस को अपनी चुनावी रणनीति पर पुनर्विचार करने की सलाह दी है।
आत्म-आलोचना की आवश्यकता
आम आदमी पार्टी के नेताओं ने स्पष्ट किया है कि चुनाव (Haryana Election) परिणामों से सबसे बड़ा सबक यह है कि किसी भी राजनीतिक दल को अति आत्मविश्वासी नहीं होना चाहिए। इस संदर्भ में, उन्होंने कांग्रेस की चुनावी रणनीति पर प्रश्न उठाए हैं। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना-यूबीटी और सीपीआई ने भी इस मुद्दे को उठाया है, यह बताते हुए कि भाजपा के खिलाफ सीधी लड़ाई में कांग्रेस की रणनीति प्रभावी नहीं रही।
केजरीवाल की चेतावनी
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हाल के विधानसभा चुनावों ने स्पष्ट किया है कि अति आत्मविश्वास से बचना चाहिए। आप के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया ने यह भी कहा कि हरियाणा (Haryana Election) के लोग भाजपा को हराना चाहते थे, लेकिन कांग्रेस की रणनीति में कमी के कारण यह संभव नहीं हो सका।
सहयोगियों की प्रतिक्रिया
शिवसेना-यूबीटी की नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि हरियाणा चुनावों (Haryana Election) के परिणामों का महाराष्ट्र में कोई विशेष असर नहीं पड़ेगा, लेकिन कांग्रेस को अपनी रणनीति पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। सीपीआई महासचिव डी राजा ने कांग्रेस से आग्रह किया कि वह हरियाणा के चुनाव परिणामों पर गंभीर आत्मनिरीक्षण करे और सभी इंडिया ब्लॉक सहयोगियों के साथ मिलकर आगामी चुनावों की रणनीति बनाए।
आगे का रास्ता
जयराम रमेश, कांग्रेस के संचार प्रभारी महासचिव, ने महाराष्ट्र में अपने सहयोगियों को याद दिलाया कि कांग्रेस पिछले लोकसभा चुनाव में पहले स्थान पर रही थी। उन्होंने कहा कि ‘गठबंधन धर्म’ का अर्थ है कि मुद्दों पर आपस में चर्चा की जाए, न कि मीडिया के माध्यम से।
कांग्रेस के लिए यह समय आत्म-आलोचना और रणनीति में सुधार का है, ताकि आगामी चुनावों में वे बेहतर प्रदर्शन कर सकें। हरियाणा के चुनाव नतीजे ने एक महत्वपूर्ण सबक दिया है, जिसे ध्यान में रखते हुए कांग्रेस को आगे बढ़ना होगा।