देश रोज़ना: ‘चीज़’ खाना किसे पसंद नहीं होता है। होगी भी क्यों नहीं, यह बड़ी ही स्वादिष्ट चीज है। लेकिन, क्या आप जानते है। इसका उत्पादन इतिहास के पन्नों दर्ज होने से पहले क्या नाम था। माना जाता है कि चीज़ की खोज भेड़, बकरी, गाय और भैंस जैसे जुगाली करने वाले जानवरों को चराते हुए चरवाहों ने दुर्घटनावश की थी। उस समय में फ्रीज़ नहीं हुआ करते थे। जब दूध को संरक्षित करने के लिए चीज एक तरीका बन गया। इसके अभी तक सबूत नहीं हैं कि चीज की खोज सबसे पहले कहां हुई थी। हालांकि, प्रारंभिक चीज के निर्माण के प्रमाण मध्य पूर्व, यूरोप और मध्य एशिया में प्रचलित हैं।
चीज की खोज सबसे पहले 8000 ईसा पूर्व में हुई थी, जब भेड़ और बकरियों के पेट और ब्लैडर जैसे अन्य अंगों का इस्तेमाल दूध समेत अन्य लिक्विड चीजों को स्टोर करने के लिए किया जाता था। इन अंगों में रेनेट नाम का एक एंजाइम होता है, जो दूध को प्राकृतिक रूप से जमाने का काम करता था। इसके अलावा इसमें लैक्टिक एसिड भी मौजूद होता है। इससे दूध फर्मेंट जम जाता था। जिसके बाद दूध से दही को छान लिया जाता था। अतिरिक्त संरक्षण के लिए इसमें नमक मिला दिया जाता था। एक डेयरी प्रोडक्ट का इजाद हुआ, जिसे आज “पनीर” के रूप में जाना जाता है।
प्रारंभिक रोमन ग्रंथों में वर्णन किया गया है कि प्राचीन रोमन लोग अक्सर चीज का आनंद कैसे लेते थे। उन्होंने विभिन्न प्रकार की चीज़ का आनंद लिया और चीज़ बनाने को एक कला माना जाने लगा। चीज़ शब्द लैटिन शब्द केसियस से आया है, जिसका मूल प्रोटो-इंडो-यूरोपीय मूल क्वाट से लिया गया है, जिसका मतलब है फर्मेंट होना या खट्टा होना।
जैसे-जैसे चीज़मेकिंग उत्तरी यूरोप की ठंडी जलवायु में फैलता गया, इसके संरक्षण के लिए कम नमक की आवश्यकता होती गई। इस तरह चीज़ की क्रीमी, हल्की वैरायटी सामने आईं। इन ठंडे वातावरण में पुरानी, पकी और ब्लू चीज का भी आविष्कार हुआ। आज हम जिन चीज़ों से परिचित हैं उनमें से कई (चेडर, गौडा, परमेसन, कैमेम्बर्ट) चीज का उत्पादन पहली बार मध्य युग के दौरान यूरोप में किया गया था।