Sunday, September 8, 2024
26.1 C
Faridabad
इपेपर

रेडियो

No menu items!
HomeIndiaएक मां के लिए सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्‍पणी

एक मां के लिए सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्‍पणी

Google News
Google News

- Advertisement -

देश के सर्वोच्च न्यायालय की तरफ से एक अहम टिप्पणी आई है,कोर्ट की तरफ से कहा गया है कि जब गर्भपात के लिए कानून में मियाद पूरी हो चुकी हो और बच्चा गर्भ में स्वस्थ हो तो मात्र परिवार के चाहने पर उसकी धड़कन बंद कर देना सही नहीं है।

गर्भ में पल रहे बच्चे के अधिकार पर सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी आई है।

कोर्ट ने 26 हफ्ते की गर्भवती विवाहिता महिला को सलाह दी कि वह कुछ हफ्ते और इंतजार कर बच्‍चे को जन्म दे,सरकार बच्चे का ध्यान रखने को तैयार है। इसलिए जन्म के बाद उसे सरकार को सौंप दिया जाए।

 हालांकि मामले की सुनवाई गुरुवार 12 अक्टूबर को अधूरी रही,कोर्ट ने शुक्रवार 13 अक्टूबर को दोबारा सुनवाई के लिए माता-पिता और उनके वकील और केंद्र सरकार के वकील को आपस में बात कर समाधान निकालने के लिए कहा है।

डॉक्टर का जो कहना है उसके मुताबिक पहले से दो बच्चों की मां ने अपनी मानसिक और पारिवारिक समस्याओं के चलते गर्भ गिराने की मांग की थी। नौ अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की बेंच ने एम्स यानी अखिल भारतीय आयुर्वेद विज्ञान संस्थान को महिला को भर्ती कर गर्भपात करने की प्रक्रिया करने का आदेश दिया लेकिन 10 अक्टूबर को एम्स के एक विशेषज्ञ डॉक्टर ने केंद्र सरकार के वकील को ईमेल भेजा और बताया कि बच्चा गर्भ में सामान्य लग रहा है अगर मां के गर्भ से उसे बाहर निकल गया तो कोई अनहोनी हो सकती है। ऐसे में गर्भपात के लिए पहले ही उसकी धड़कन बंद करनी होगी,इसके साथ ही डॉक्टरों ने यह भी बताया कि अगर बच्चे को अभी बाहर निकाल कर जीवित रखा गया तो वह शारीरिक को मानसिक तौर से अपाहिज भी हो सकता है।

डॉक्टर कि रिपोर्ट के बाद केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से गर्भपात का आदेश वापस लेने की अपील की, फिर इस मामले में बुधवार को सुनवाई हुई,जिसमें जस्टिस हिमा कोहली और बी वी नागरत्‍ना की बेंच ने इस पर अलग-अलग आदेश दिए इसी कारण से इस मामले को गुरुवार 12 अक्टूबर को चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़,जस्टिस जे बी पारडीवाला और मनोज मिश्रा की बेंच ने सुना।

 केंद्र सरकार के लिए पेश अडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने विशेषज्ञ डॉक्टर की तरफ से दी गई जानकारी को सभी के सामने रखा,उन्होंने यह भी कहा कि सरकार मां के स्वास्थ्य का ध्यान रखना और जन्म के बाद बच्चे को अपने संरक्षण में रखने को तैयार है।

तो वहीं एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट का ध्यान इस और खींचते हुए कहा कि एमटीपी एक्ट यानी मेडिकल टर्मिनेशन आफ प्रेगनेंसी एक्ट के तहत ज्यादातर 24 हफ्ते तक ही गर्भपात की अनुमति दी गई है,अगर मामला यौन शोषण की शिकार नाबालिग लड़की से जुड़ा हो या बलात्कार की शिकार महिला का हो या फिर गर्भ से मां के जीवन को खतरा हो ऐसी हालत में 24 हफ्ते के पार जाकर भी गर्भपात की अनुमति दी जाती है। लेकिन यहां तो मात्र यह कहते हुए गर्भपात की मांग की जा रही है की मां अपने दूसरे बच्चे को जन्म देने के बाद से डिप्रेशन में रही है और वह अपने दो बच्चों को सही तरीके से पालन नहीं कर पा रही है।

पूरे मामले को सुनते हुए चीफ जस्टिस ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा कि आप माता-पिता के लिए पेश हुए हैं सरकार के लिए भी वकील यहां पर है लेकिन क्या उसे बच्चे का कोई वकील यहां पर है क्या हम उसकी धड़कन बंद करने का आदेश दे दे या फिर उसे शारीरिक या मानसिक क्षमता के साथ दुनिया में आने दे हो सकता है कि आपकी परिस्थितियों ऐसी रही हो कि आप गर्भपात करने में देरी से ले पाए लेकिन अब जब 26 हफ्ते का गर्भ है तो कम से कम दो हफ्ते का इंतजार करना होगा जो सभी के लिए बेहतर होगा इस अवधि के बाद बच्चों के विकृति के साथ पैदा होने की आशंका खत्म हो जाएगी आप सब आपस में बात करें और इस मामले की सुनवाई दोबारा गुरुवार 13 अक्टूबर को होगी।

- Advertisement -
RELATED ARTICLES
Desh Rojana News

Most Popular

Must Read

Recent Comments