देश रोज़ाना: किसी भी समाज को सभ्य बनाने के लिए जरूरी है। समाज में एक मान-सम्मान की प्रतिष्ठा बनाना। उसी समाज को सभ्य समाज कहा जाता है। जिस समाज में सभ्य लोग रहते है। समाज में जागरूकता फैलाने और समाज को सभ्य बनाने के लिए हर वर्ष 16 नवंबर को अंतरराष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य समाज से हिंसा और नकरात्मकता को दूर करना है।
महात्मा गांधी की 125 वीं जयंती के अवसर पर वर्ष 1995 को संयुक्त राष्ट्रीय महासभा के द्वारा अंतर्राष्ट्रीय सहिष्णुता वर्ष घोषित किया गया था। इस वर्ष दुनिया में अहिंसा और सहिष्णुता को बढ़ावा देने और जागरूकता फैलाने के लिए “यूनेस्को मदनजीत सिंह पुरुस्कार” की भी स्थापना की गई थी। इसके बाद वर्ष 1996 में 16 नवंबर को अंतरराष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस के रूप में मनाने की घोषणा संयुक्त राष्ट्रीय महासभा द्वारा की गई।
अंतर्राष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस का उद्देश्य दुनिया में बढ़ते अत्याचार, हिंसा और अन्याय को रोकने और लोगों को सहनशीलता और सहिष्णुता के प्रति जागरूक करना है।आजकल के बदलते दौर में जहां समाज कई कुरीतियों और हिंसा से घिरा हुआ है, वहां अंतरराष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस काफी मायने रखता है।
अंतर्राष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस काफी लम्बे समय से मनाया जा रहा है। इस दिवस की घोषणा अहिंसावादी गाँधी ने की थी। और हर वर्ष इस दिन समाज में भाई चारे को मजबूत करने और सभी के साथ मिल-जुल कर रहने के लिए यह दिवस मनाया जाता है। हालांकि बहुत से ऐसे त्यौहार है जो हमे संदेश देते है सबके साथ मिलजुल कर रहने का। परन्तु यह दिन सभी को एक भाईचारे की डोर में बांधती है।