सुप्रीम कोर्ट में आजकल आर्टिकल 370 को हटाने के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है। सुनवाई के पांचवें दिन यानी गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीश वाली संविधान पीठ ने कहा कि भारत में जम्मू कश्मीर का विलय बिना किसी शर्तों के साथ हुआ था और यह अपने आप में परिपूर्ण था। संविधान पीठ की तरफ से कहा गया कि राज्य सूची के विषय पर जम्मू कश्मीर के अलावा किसी भी राज्य के लिए कानून बनाने की संसद की शक्ति पर प्रतिबंध है, पीठ ने यह साफ तौर पर कह दिया है कि विधायी शक्तियों के वितरण से भारत की संप्रभुता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। अनुच्छेद 370 का प्रावधान ऐसा है कि इसमें कभी संशोधन नहीं हो सकता है यह खतरनाक बात है तो वहीं मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ की तरफ से कहा गया कि जम्मू कश्मीर से संबंधित भारत के संविधान की पहली अनुसूची में मूल प्रविष्टि क्या है। इसके जवाब में अधिवक्ता शाह ने यह कहा कि मूल संविधान मेरे पास है मैं दिखाऊंगा कि 1954 के आदेश में क्या है और 1949 के संविधान में क्या था। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने यह जानना चाहा कि सर्वोच्च क्या है संविधान या विलय समझौता। इसके जवाब में वरिष्ठ एडवोकेट जफर शाह की तरफ से कहा गया कि यह विलय का साधन है, उन्होंने सवाल फिर पूछा सर्वोच्च क्या है संविधान का विलय या साधन तब अधिवक्ता की तरफ से कहा गया कि बेशक भारत का संविधान सर्वोच्च है लेकिन इसमें अनुच्छेद 370 भी शामिल है।
जम्मू-कश्मीर का विलय भारत में बिना शर्त हुआ था: सुप्रीम कोर्ट—–
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