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जानिए, कैसे पड़ा मां पार्वती का नाम महागौरी

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देश रोज़ाना: आज नवरात्री के त्यौहार का आठवां दिन है। आज महागौरी माता की पूजा की जाती है। हालांकि बहुत से लोग आज माता का भोग लगाकर अपना व्रत पूरा कर लेते है। ऐसी मान्यता है कि मां महागौरी की पूजा करने से घर में सुख की प्राप्ति होती है। मां की पूजा करने से सभी रुके हुए काम पुरे हो जाते है। घर में धन की वृद्धि होती है। ऐसा माना जाता है कि मां महागौरी ने लंबे समय तक शिव जी की पूजा की थी जिसके बाद उन्हें शिवजी ने वरदान दिया। मां महागौरी की पूजा करने से विवाह से जुडी समस्याएं भी समाप्त हो जाती है।

महागौरी का नाम महागौरी कैसे पड़ा ? इस पर भी काफी मान्यता जुडी हुई है। ऐसा माना जाता है कि कई वर्षों तक शिव को पाने के लिए माता ने तपस्या की थी। तपस्या के दौरान माता पार्वती के शरीर पर धूल- मिट्टी चिपक गई थी। जिसके बाद माता के शरीर को शिव जी ने गंगाजल से साफ़ किया था। उसके बाद से महागौरी के नाम से माता को जाने जाना लगा।

पौराणिक कथा के अनुसार

पौराणिक कथानुसार, जब देवी पार्वती 8 साल की थी तब उन्हें अपने पहले जन्म का आभास होने लगा था। उस उम्र से ही उन्होंने भगवान शिव को अपना पति मान लिया था। शिवजी को पाने के लिए पार्वती जी ने कई वर्षों तक कठोर तपस्या की। तपस्या के दौरान केवल कंदमूल फल और पत्तों का सेवन किया। हालांकि कठोर तप के दौरान माता के शरीर पर धूल-मिट्टी सब जम गई। अपनी इस तपस्या से मां ने भोलेनाथ को प्रसन्न किया। और मां को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया। इसके बाद उन्होंने देवी को गंगाजल से स्नान कराया और स्नान करते ही उनका वर्ण गौर हो गया। तब से उनका नाम महागौरी पड़ गया। उसके बाद से ही माता की पूजा की जाने लगी। माँ को आठवें नवरात्री के दिन पूजा की जाती है।

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