देश रोज़ाना: कहने को तो देश आज काफी आगे निकल गया है लेकिन आज भी महिलाओं के साथ हिंसा के मामले देखने को मिल रहे है। हिंसा के मामलों को रोकने के लिए हर वर्ष 25 नवंबर को ‘अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस’ मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का मुख्य कारण लोगों को महिलाओं के प्रति हिंसा ना करने को लेकर प्रेरित करना है। ताकि समाज को एक सुव्यवस्थित बनाए रखा जा सके। प्रति वर्ष के आकड़ों के अनुसार लॉकडाउन के समय में अधिक मामले हिंसा के दर्ज किये गए है।
एनसीआरबी के अनुसार 2020 में देश में यौन शोषण के प्रतिदिन लगभग 77 मामले दर्ज किए गए थे और कुल 28,046 मामले दर्ज किए जा चुके हैं। वहीं दुनियाभर में महिला हिंसा के 3,71,503 मामले दर्ज किए जा चुके हैं जो 2019 में 4,05,326 थे। लोगों की सोच बदलने और महिलाओं को उनका हक दिलवाने के उद्देश्य से हर साल ये दिन मनाया जाता है।
25 नवंबर 1960 में पैट्रिया मर्सिडीज, मारिया अर्जेटीना और एंटोनियो मारिया टेरेसा द्वारा डोमिनिक शासक रैफेल टुजिलो की तानाशाही का विरोध किया गया था। तब उस शासक के आदेशानुसार तीनों बहनों को बेरहमी से मरवा दिया गया। तब से 1981 में लैटिन अमेरिका और कैरेबियाई नारीवादी एनकेंट्रोस के कार्यकर्ताओं ने 25 नवंबर को महिलाओं के खिलाफ हिंसा का मुकाबला करने और तीनों बहनों की पुण्यतिथि के रूप में मनाने का आदेश दिया। 17 दिसंबर 1999 को संयुक्त राष्ट्र ने इस दिन को अधिकारिक प्रस्ताव के रूप में अपनाया था।
हर वर्ष ‘अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस’ पर अलग- अलग थीम रखी जाती है। अब की बार ‘Unite’ की थीम रखी गई है। जिसका अर्थ है। महिलाओं और लड़कियों की एकता। यदि सभी महिला और लड़कियां एक साथ जुट जाती है तो दुनिया की कोई ताकत उन्हें अलग नहीं कर सकती है। और ना ही दुनिया का कोई व्यक्ति उन पर अत्याचार कर सकता है।