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प्रदेश के प्राचीन सांस्कृतिक गौरव को सहेजने की कोशिश में मनोहर लाल

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देश रोज़ाना: केंद्र सरकार के सहयोग से मनोहर लाल सरकार अग्रोहा को पर्यटन स्थल के साथ-साथ ऐतिहासिक स्थल के रूप में संवारने जा रही है। राखीगढ़ी की तर्ज पर ही बहुत जल्दी पुरातत्व विभाग यहां खोदाई करने और पुरातन स्थलों की खोज करके अग्रोहा को विकसित करने का प्रयास करेगा। अग्रोहा पुरातत्व स्थल की खोदाई भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की उत्खनन शाखा द्वितीय और हरियाणा राज्य पुरातत्व विभाग मिलकर करेगा। इससे पहले संभावित क्षेत्रों में ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार से सर्वेक्षण कराया जाएगा। वैसे हरियाणा प्राचीन सभ्यता का एक प्रमुख अंश रहा है। सिंधु घाटी सभ्यता का मुख्य हिस्सा होने की वजह से यहां के प्रत्येक जिले में कुछ न कुछ पुरा महत्व की वस्तुएं, नगर आदि मिलने की संभावना है।

वैसे यह कभी ब्रह्मवर्त, आर्यावर्त या ब्रह्मोप्देस जैसे नाम के विशाल भूभाग का हिस्सा था। वैसे हरियाणा का प्राचीन नाम बहुधान्यका और हरियंका भी है। इन नामों से एक बात तो साफ हो जाती है कि हरियाणा में धान्य की बहुलता थी और यह प्रदेश वनस्पतियों के मामले में काफी समृद्ध रहा है। बहुधान्यका और हरियंका शब्द का भावार्थ तो यही होता है। संभव है कि हरियंका शब्द से ही हरियाणा शब्द की उत्पत्ति हुई हो। रोहतक जिले के बोहर गांव से मिले शिलालेख के अनुसार, इस क्षेत्र को हरियंक के नाम से जाना जाता था। यह शिलालेख 1337 विक्रम संवत के दौरान दिल्ली के शासक बलबन से जुड़ा माना जाता है। धरणिधर अपने कार्य अखण्ड प्रकाश में कहते हैं कि यह शब्द हरिबंका से आता है। हरि की पूजा व भगवान इंद्र से जुड़ा हुआ है। वैसे ऋग्वेद में हरियाणा शब्द का उपयोग वासुराजा के लिए विशेषण के रूप में प्रयोग किया गया है। वासु राजा ने इस क्षेत्र पर शासन किया। कालांतर में इस क्षेत्र को हरियाणा कहा जाने लगा।

बहरहाल, हरियंका और बहुधान्यका शब्दों से यह तो साफ हो गया कि प्राचीन काल से ही (शायद वैदिक काल से ही) हरियाणा के लोगों का मुख्य पेशा कृषि रहा है। यहां विभिन्न प्रकार की फसलें उगाई जाती रही हैं। मुगल और ब्रिटिश काल में भी दिल्ली के बगल में स्थित होने और राजनीतिक उठापटक झेलने के बावजूद हरियाणा ने हरित प्रदेश होने का गौरव हमेशा कायम रखा। अब मनोहर सरकार उस पुराने गौरव को दोबारा स्थापित करके प्रदेश की सांस्कृतिक, धार्मिक धरोहर को सुरक्षित रखना चाहती है, बल्कि उसे पर्यटन स्थल में बदल कर स्थानीय लोगों की आजीविका का प्रबंध भी करना चाहती है। प्रदेश में जितने ज्यादा पर्यटन और धार्मिक स्थल होंगे, देशी विदेशी नागरिकों का आना उतना ही ज्यादा फायदेमंद होगा। इससे लोगों की आय तो बढ़ती ही है, लोगों को रोजगार भी मुहैया होता है।


-संजय मग्गू

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