मणिपुर हिंसा को लेकर मॉनसून सत्र गरमाया हुआ है। हर रोज हंगामे की भेंट चढ़ रहा है सदन। आज भी कुछ ऐसे ही आसार है क्योंकि आज दिल्ली सेवा बिल पेश किया जा सकता है। मणिपुर हिंसा को लेकर विपक्ष प्रधानमंत्री मोदी का दोनों सदनों में बयान चाहता है और इसी बीच आज गृह मंत्री अमित शाह दिल्ली अध्यादेश विधायक ला सकते हैं तो आज भी संसद हंगामे की भेंट चढ़ सकती है। केंद्र सरकार की ओर दिल्ली के लिए यह अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद लाया गया,जिसमें कोर्ट ने ट्रांसफर पोस्टिंग का अधिकार चुनी हुई सरकार को दे दिया था।हालांकि पुलिस सार्वजनिक व्यवस्था भूमि से जुड़ी शक्तियां नहीं दी गई थी। बीते मंगलवार को प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट के इस बिल पर अपनी मुहर लगा दी गई थी तो संसद में इस मुद्दे को लेकर एनडीए और इंडिया के गठबंधन के बीच घमासान नजर आएगा। उधर आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी विरोधियों से मिलकर संसद में इस बिल को गिराने की अपील की है साथ ही यह भी कहा है कि अगर विपक्ष इस बिल को पारित होने से रोक पाता है तो यह सरकार की बड़ी हार होगी।
आपको बता दें कि लोकसभा की बात करें तो सरकार के पास बिल पास कराने के लिए पर्याप्त संख्या बल मौजूद है 543 सीट वाली लोकसभा में बीजेपी के पास 301 सांसद है जबकि एनडीए के सांसदों को मिला ले तो यह संख्या 333 हो जाती है और अगर कांग्रेस की अगुवाई वाले नए महागठबंधन इंडिया की बात करें तो 142 सांसद है लोकसभा में सरकार की राह इस विधेयक को पास कराने की आसान लग रही है आम आदमी पार्टी यह कह रही है कि सरकार के खिलाफ विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव स्वीकृत हो चुका है इसलिए उस पर चर्चा होने से पहले इस विधेयक को संसद में लाना नियमों के खिलाफ है गौरतलब है कि दिल्ली अध्यादेश को लेकर आम आदमी पार्टी को विपक्ष की ज्यादातर पार्टियों का समर्थन हासिल हो चुका है राज्यसभा में कुल सदस्यों की संख्या 237 है ऐसे में यहां पर किसी भी अध्यक्ष को पास कराने के लिए 119 सांसद होना अनिवार्य है
बीजेपी के सांसदों की संख्या में मनोनीत सांसद संख्या हो जाती है 97 हो जाती है एनडीए में शामिल पार्टियों के सांसदों को भी मिले तो यह आंकड़ा 111 हो जाता है सरकार के पास इस अध्यादेश को पारित कराने के लिए 8 सदस्य कम पड़ते हैं ऐसे में सरकार को एनडीए और इंडिया दोनों से दूरी बनाकर चल रही पार्टियों का भी समर्थन हासिल करना होगा केजरीवाल के पास आंकड़े की बात की जाए तो राज्यसभा में केजरीवाल को कांग्रेस के 30 सदस्यों का समर्थन हासिल है और उनकी संख्या 98 ही होगी ऐसे में राज्यसभा में वापस हो सकता है और उसको कांग्रेस का साथ मिलने से भी कोई राहत मिलती नहीं दिख रही है लोकसभा में 142 सांसद होने की वजह से गठबंधन सरकार को घेर नहीं पाएगा।