चेन्नई के निकट एक यात्री ट्रेन की खड़ी मालगाड़ी से टकराने की घटना के एक दिन बाद, विशेषज्ञों और यूनियन नेताओं ने बताया कि डेटा-लॉगर वीडियो के अनुसार, मैसूर-दरभंगा एक्सप्रेस ट्रेन को मुख्य लाइन से गुजरने के लिए हरी झंडी दी गई थी। हालांकि, यह ट्रेन एक लूप लाइन पर चली गई, जहां पहले से ही एक मालगाड़ी खड़ी थी।
यह घटना शुक्रवार रात करीब साढ़े आठ बजे तमिलनाडु के चेन्नई रेल मंडल के कावरापेट्टई रेलवे स्टेशन पर हुई, जिसमें नौ यात्री घायल हो गए। डेटा लॉगर एक उपकरण है, जो ट्रेनों की गतिविधियों और सिग्नल से संबंधित पहलुओं को रिकॉर्ड करता है। इस डेटा लॉगर के ‘यार्ड-सिमुलेशन’ वीडियो को शनिवार सुबह से रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों के व्हाट्सऐप समूहों में साझा किया गया, जिससे इस दुर्घटना और 2 जून, 2023 को बालासोर ट्रेन हादसे के बीच समानताएं सामने आईं।
दक्षिणी रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी (सीपीआरओ) ने बताया कि उन्हें इस वीडियो की जानकारी नहीं है और टक्कर के संबंध में कई जांच पहले ही शुरू की जा चुकी हैं। रेलवे बोर्ड ने एक प्रेस बयान में स्वीकार किया कि यात्री ट्रेन को मुख्य लाइन के लिए हरी झंडी दी गई थी, लेकिन उसे एक झटका लगा, जिसके चलते वह लूप लाइन में चली गई और मालगाड़ी से टकरा गई। इस मामले की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दे दिए गए हैं, और रेलवे सुरक्षा आयुक्त विस्तृत जांच करेंगे।
सुरक्षा विशेषज्ञों ने बताया कि स्वचालित सिग्नलिंग प्रणाली में सिग्नल का पहलू पटरियों के इंटरलॉकिंग का पालन करता है। यदि मुख्य लाइन के लिए सिग्नल हरा है, तो इंटरलॉकिंग अपने आप इस तरह सेट हो जाती है कि ट्रेन मुख्य लाइन पर पहुंचे। एक सुरक्षा विशेषज्ञ ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा, “सिग्नल और इंटरलॉकिंग के बीच समन्वय की कमी किसी तकनीकी गड़बड़ी के कारण हो सकती है।”
‘इंडियन रेलवे लोको रनिंगमैन ऑर्गनाइजेशन’ (आईआरएलआरओ) के कार्यकारी अध्यक्ष संजय पांधी ने इस घटना पर आश्चर्य जताया, क्योंकि सभी पिछली ट्रेनें उक्त स्टेशन से सिग्नलिंग और इंटरलॉकिंग प्रणाली में किसी भी असामान्यता के बिना गुजरी थीं। उन्होंने कहा, “ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ खराबी हुई होगी, संभवतः यांत्रिक उपकरणों में जंग लगने आदि के कारण, जिसके चलते सिग्नल और इंटरलॉकिंग का समन्वय टूट गया।”
उत्तर रेलवे के पूर्व मुख्य सिग्नल एवं दूरसंचार इंजीनियर के.पी. आर्य ने कहा, “डेटा लॉगर के यार्ड-सिमुलेशन वीडियो से पता चलता है कि संबंधित ट्रेन मुख्य लाइन के साथ-साथ लूप लाइन पर जा रही थी, जो संभव नहीं है। संभवतः ट्रेन इंटरलॉकिंग बिंदु पर पटरी से उतर गई होगी और इंजन तथा कुछ डिब्बे लूप लाइन की ओर बढ़ गए, जबकि अन्य डिब्बे मुख्य लाइन पर भी आ गए थे।”