शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में मोदी सरनेम मामले में राहुल गांधी की याचिका पर सुनवाई हुई। राहुल के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने वाले पूर्णेश मोदी और गुजरात सरकार को जस्टिस बी.आर. गवई और प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच ने नोटिस जारी किया है। जिस पर 10 दिनों के अंदर जवाब देना होगा। इस केस की अगली सुनवाई अब 4 अगस्त को होगी। दरअसल राहुल गांधी ने मोदी सरनेम को लेकर 2019 में एक बयान दिया था। जिसके खिलाफ बीजेपी विधायक पूर्णेश मोदी ने मानहानि का मामला दर्ज कराया था। जिसके चलते सूरत कोर्ट ने राहुल गांधी को दो साल की सजा सुनाई थी। जिसके बाद राहुल की सांसदी चली गई थी।
सजा के खिलाफ राहुल ने सूरत सेशन कोर्ट और गुजरात हाईकोर्ट में भी अर्जी दाखिल की थी, लेकिन वहां से भी उन्हें किसी प्रकार की राहत नहीं मिली। जिसके बाद उन्होंने सजा पर रोक लगवाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 15 जुलाई को याचिका दाखिल की। वहीं दूसरी तरफ पूर्णेश मोदी ने भी कोर्ट से इस मामले पर अपील की थी कि उन्हें सुने बिना फैसला ना दिया जाए।
राहुल गांधी के वकील ने की जल्द सुनवाई की मांग
शुक्रवार को सुनवाई से पहले जस्टिस गवई ने कहा की उनके पिता और भाई भी कांग्रेस से जुड़े हुए थे तो ऐसे में उनके इस मामले पर सुनवाई करने से किसी को कोई आपत्ति तो नहीं। जिस पर दोनों पक्षों ने कहा कि इससे उन्हें कोई दिक्क्त नहीं है। राहुल गांधी के वकील अभिषेक सिंघवी ने कोर्ट से कहा कि राहुल एक संसद सत्र में शामिल नहीं हो पाए हैं और अब मानसून सत्र भी निकला जा रहा है। वायनाड लोकसभा क्षेत्र के लिए उपचुनाव भी जल्द ही घोषित किए जा सकते हैं। इसलिए ऐसे में मामले की जल्द सुनवाई की जानी चाहिए। इसके साथ ही सिंघवी ने कोर्ट से राहुल के लिए अंतरिम राहत की मांग भी की। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वे अंतरिम राहत दूसरे पक्ष को सुने बिना नहीं दे सकते।
SC से राहत न मिलने पर 2031 तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगे राहुल गांधी
सुप्रीम कोर्ट से राहुल को राहत नहीं मिली तो वे 2031 तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। 23 मार्च 2023 को इस मामले में राहुल को 2 साल की सजा सुनाई गई थी। नियम के अनुसार, सजा पूरी होने के करीब 6 सालों तक चुनाव लड़ने पर रोक रहती है। ऐसे में 2025 तक राहुल की सजा पूरी होगी जिसके 6 साल बाद तक वे चुनाव नहीं लड़ सकेंगे।
गुजरात हाईकोर्ट द्वारा खारिज की गई थी याचिका
गुजरात हाईकोर्ट ने मानहानि केस में 7 जुलाई को राहुल गांधी की याचिका खारिज की थी। हाईकोर्ट के जस्टिस हेमंत प्रच्छक ने इस मामले पर कहा था कि ‘राहुल गांधी के खिलाफ अबतक कम से कम 10 क्रिमिनल केस पेंडिंग में हैं। इसलिए ऐसे में सूरत कोर्ट के फैसले में दखल देने की आवश्यकता नहीं है। इस मामले में सजा न्यायोचित और उचित है।’