केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को बंगलूरू स्थित सीएमएस बिजनेस स्कूल के छात्रों से बातचीत करते हुए भारत में महिलाओं के सशक्तिकरण और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए मोदी सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर चर्चा की। इस दौरान उन्होंने पितृसत्ता के सिद्धांत पर अपनी राय रखते हुए कहा कि यदि पितृसत्ता वास्तव में महिलाओं के सपनों को पूरा करने में रोड़ा होती तो इंदिरा गांधी जैसे मजबूत नेतृत्व वाली महिला देश की प्रधानमंत्री नहीं बन सकती थीं।
पितृसत्ता के सिद्धांत पर सवाल उठाते हुए सीतारमण का बयान
महिला सशक्तिकरण पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि पितृसत्ता एक ऐसा सिद्धांत है जिसे वामपंथियों ने गढ़ा है। उन्होंने कहा, “यह सिद्धांत केवल बहकावों पर आधारित है। अगर आप अपनी बात मजबूती से रखते हैं और तार्किक तरीके से बात करते हैं, तो पितृसत्ता आपको अपने सपनों को पूरा करने से रोक नहीं सकती।” हालांकि, उन्होंने यह भी माना कि महिलाओं को पूरी तरह से सभी सुविधाएं नहीं मिल पातीं और इस दिशा में सुधार की आवश्यकता है।
मोदी सरकार द्वारा नवाचार को बढ़ावा देने के कदम
निर्मला सीतारमण ने बताया कि मोदी सरकार नवाचार को बढ़ावा देने के लिए एक ऐसा माहौल बना रही है, जो भारतीय युवाओं और उद्यमियों के लिए अवसरों की कमी नहीं होने दे रहा है। उन्होंने उदाहरण के तौर पर कहा कि सरकार ने न केवल नीतियों के जरिए नवाचार को बढ़ावा दिया है, बल्कि यह सुनिश्चित किया है कि ये नवाचार बाजार में अपनी जगह बना सकें। सीतारमण ने बताया कि सरकार की सभी खरीद का 40 फीसदी सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) से होता है, जो छोटे व्यवसायों और नवाचारों के लिए बेहतर अवसर पैदा करता है।
वित्त मंत्री ने यह भी बताया कि आज भारत में दो लाख से ज्यादा स्टार्टअप्स हैं और 130 से ज्यादा यूनिकॉर्न बन चुके हैं। इसका मतलब है कि अवसर बहुत हैं, लेकिन इनका पूरी तरह से उपयोग नहीं किया गया है।
भारत में डिजिटल बैंकिंग और वित्तीय समावेशन की दिशा में सुधार
सीतारमण ने डिजिटल बैंकिंग में हो रहे बदलावों का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार ने जन धन योजना के माध्यम से भारत के आम लोगों के लिए वित्तीय अवसर उत्पन्न किए हैं। उन्होंने बताया कि देश में डिजिटल नेटवर्क को फैलाने के लिए सरकार ने भारी निवेश किया है, जबकि कई अन्य देशों में यह काम निजी कंपनियों के जरिए हुआ है, जिससे वहां शुल्क लगने लगे हैं। लेकिन भारत में यह सुविधा नि:शुल्क उपलब्ध है, जिससे वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिल रहा है।
सीतारमण ने यह भी कहा कि भारत में डिजिटल बैंकिंग के जरिए गरीब और पिछड़े वर्ग के लोगों को भी बैंकिंग सेवाओं का लाभ मिल रहा है, जो पहले एक सपना था। इससे न केवल आम आदमी की वित्तीय स्थिति में सुधार हुआ है, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था में भी मजबूती आई है।
युवाओं के लिए इंटर्नशिप और रोजगार के अवसर
वित्त मंत्री ने केंद्र सरकार की योजनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार ने युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए कई पहल की हैं। इसमें 21 से 24 वर्ष आयु वर्ग के एक करोड़ बेरोजगार युवाओं के लिए इंटर्नशिप कार्यक्रम शामिल है। इस पहल के तहत, युवाओं को उद्योगों और कंपनियों में इंटर्नशिप करने का अवसर मिलेगा, जिससे उनकी कार्यक्षमता बढ़ेगी और वे बेहतर रोजगार प्राप्त कर सकेंगे। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का यह बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा किए गए कई सुधारों और नवाचारों को लेकर था, जिसमें महिलाओं की भागीदारी, डिजिटल बैंकिंग, और युवा रोजगार को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है। सीतारमण ने पितृसत्ता के सिद्धांत पर सवाल उठाते हुए महिला सशक्तिकरण की दिशा में सरकार की नीतियों को मजबूती से समर्थन देने का दावा किया।