Northeast Delimitation: भारत का सर्वोच्च न्यायालय, सुप्रीम कोर्ट, अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मणिपुर और असम जैसे पूर्वोत्तर राज्यों में परिसीमन की प्रक्रिया में हो रही देरी से काफी चिंतित है। परिसीमन का मतलब है किसी क्षेत्र के चुनाव क्षेत्रों को फिर से निर्धारित करना ताकि जनसंख्या में हुए बदलाव को ध्यान में रखा जा सके और प्रत्येक मतदाता का प्रतिनिधित्व समान रूप से हो।
क्या है मामला?
साल 2020 में राष्ट्रपति ने इन राज्यों में परिसीमन (Northeast Delimitation) की प्रक्रिया को रोकने का आदेश दिया था। लेकिन बाद में इस आदेश को रद्द कर दिया गया। इसके बाद भी इन राज्यों में परिसीमन की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने इस देरी पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब राष्ट्रपति का आदेश रद्द हो चुका है तो फिर परिसीमन की प्रक्रिया क्यों नहीं शुरू की जा रही है।
क्यों है परिसीमन जरूरी?
- समान प्रतिनिधित्व: परिसीमन के जरिए यह सुनिश्चित होता है कि प्रत्येक मतदाता का प्रतिनिधित्व समान रूप से हो।
- जनसंख्या परिवर्तन: जनसंख्या में होने वाले बदलावों को ध्यान में रखते हुए चुनाव क्षेत्रों को फिर से निर्धारित करना जरूरी है।
- विकास कार्य: परिसीमन के बाद विकास कार्य बेहतर तरीके से किए जा सकते हैं।
क्यों हो रही है देरी?
- राजनीतिक कारण: कुछ राजनीतिक दल परिसीमन नहीं चाहते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे उनके लिए नुकसान हो सकता है।
- व प्रशासनिक कारण: परिसीमन एक जटिल प्रक्रिया है और इसमें समय लगता है।
- कानूनी अड़चनें: कभी-कभी कुछ कानूनी अड़चनें भी आ जाती हैं जिसकी वजह से परिसीमन में देरी होती है।
सुप्रीम कोर्ट का क्या कहना है?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि परिसीमन एक वैधानिक आदेश है और इसका पालन करना जरूरी है। कोर्ट ने सरकार से इस मामले में जल्द से जल्द कार्रवाई करने को कहा है।
क्या होगा आगे?
अब देखना होगा कि सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती है। उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद परिसीमन की प्रक्रिया जल्द ही शुरू हो जाएगी।
क्यों है यह खबर महत्वपूर्ण?
यह खबर इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हमारे लोकतंत्र के लिए बहुत जरूरी है। परिसीमन के जरिए ही हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि हर मतदाता का प्रतिनिधित्व समान रूप से हो।
निष्कर्ष
पूर्वोत्तर राज्यों में परिसीमन की देरी एक गंभीर मुद्दा है। सुप्रीम कोर्ट का इस मामले में दखल देना एक सकारात्मक संकेत है। उम्मीद है कि जल्द ही इस मामले का समाधान निकल जाएगा और इन राज्यों में परिसीमन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
मुख्य बिंदु:
- सुप्रीम कोर्ट ने पूर्वोत्तर राज्यों में परिसीमन की देरी पर चिंता जताई है।
- परिसीमन का मतलब है चुनाव क्षेत्रों को फिर से निर्धारित करना।
- परिसीमन जरूरी है क्योंकि इससे हर मतदाता का समान प्रतिनिधित्व होता है।
- परिसीमन में देरी के कई कारण हैं जैसे राजनीतिक कारण, प्रशासनिक कारण और कानूनी अड़चनें।
- सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से इस मामले में जल्द से जल्द कार्रवाई करने को कहा है।
अतिरिक्त जानकारी:
- परिसीमन की प्रक्रिया काफी जटिल होती है और इसमें समय लगता है।
- परिसीमन के लिए जनगणना के आंकड़ों का उपयोग किया जाता है।
- परिसीमन के बाद चुनाव क्षेत्रों की सीमाओं में बदलाव हो सकता है।