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राम मंदिर पर ओवैसी ने फिर उठाए सवाल, कहा- ‘मुसलमानों से छीनी गई बाबरी मस्जिद’

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अयोध्या में राम मंदिर को लेकर AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी लगातार बयानबाजी कर रहे हैं। इस बीच कर्नाटक के कलबुर्गी में उन्होंने एक बार फिर राम मंदिर पर सवाल उठाए और कहा कि मुस्लिम वहां पांच सौ साल तक नमाज पढ़ते रहे और बाबरी मस्जिद के तहत बेबुनियाद साजिश अपनाकर मस्जिद को हमसे छीन लिया गया। मोदी यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि भारतीय राजनीति में मुसलमानों की क्या जगह है।

राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा पर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने तीन घटनाओं पर सवाल उठाते हुए कहा, ‘जब कांग्रेस के जीबी पंत उत्तर प्रदेश के सीएम थे, तब मुसलमान 500 सालों से वहां नमाज पढ़ रहे थे, तो रात के अंधेरे में मस्जिद के अंदर मूर्तियां रखी गईं थी।’ वह अंदर मेरी मस्जिद थी, है और रहेगी। उन्होंने मूर्तियों को वहां से बाहर नहीं निकाला। उस समय नायर वहां के कलेक्टर थे, उन्होंने मस्जिद बंद करवा दी और वहां पूजा शुरू कर दी। और जब पचास के दशक में नायर जनसंघ के पहले सांसद बन गए।’

ओवैसी ने फिर उठाए सवाल

ओवैसी ने कहा, ‘मुसलमानों का पक्ष सुने बिना ही साल 1986 में वहां के ताले खोले गए।’ 6 दिसंबर 1992 को सुप्रीम कोर्ट के वादे के बाद भी बीजेपी और संघ परिवार के सदस्यों ने मस्जिद को ध्वस्त कर दिया। बीजेपी के पास ये मुद्दा तब आया जब बीजेपी ने 1989 में ये प्रस्ताव पास किया। जब वीएचपी बनी तो यह मुद्दा नहीं था। उन्होंने कहा कि राम मंदिर के बारे में महात्मा गांधी ने भी कभी कुछ नहीं कहा था। ‘इसलिए इतने व्यवस्थित ढंग से बाबरी मस्जिद को छीन लिया गया।’

AIMIM नेताओं ने कहा, ‘टाइटल कोर्ट में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आस्था के आधार पर हम मुसलमानों को ये जमीन नहीं दे सकते।’ कोर्ट ने यह भी कहा कि वहां मंदिर को तोड़कर मस्जिद को नहीं बनाया गया है। जब ये फैसला आया तो मैंने भी कहा था कि इस फैसले के बाद ऐसे कई मुद्दे सामने आएंगे, वही आज भी हो रहा है। कई जगहों पर ये कहा जा रहा है कि यहां कोई मस्जिद नहीं थी। अगर जीबी पंत उसी समय उन मूर्तियों को हटा देते, अगर ताले को नहीं खोला जाता… अगर 1992 में मस्जिद को विध्वंस नहीं किया गया होता, तो क्या हमें क्या देखना पड़ता? इस सवाल का जवाब आज कोई नहीं दे रहा है।

असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि हम सबसे पूछ रहे हैं कि आपका इन घटनाओं पर क्या कहना है। लेकिन इस पर कोई नहीं बोलता। क्योंकि सबको बहुसंख्यकों के वोट पाने है और नरेंद्र मोदी ये सब करके बहुमत को अपने साथ लाना चाहते हैं। वो यह पैगाम दे रहे हैं कि भारतीय राजनीति में आपकी क्या जगह है।

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