One Nation, One Election: लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने का प्रस्ताव चर्चा में है, और इस पर संसद की संयुक्त समिति की पहली बैठक बुधवार को हुई। इस बैठक में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सदस्यों ने ‘एक देश, एक चुनाव’ के विचार का समर्थन किया, जबकि विपक्षी दलों के सांसदों ने इस पर सवाल उठाए।
सूत्रों के अनुसार, विधि और न्याय मंत्रालय के अधिकारियों ने इस बैठक में प्रस्तावित विधेयकों पर प्रस्तुति दी। इसमें लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने के विचार को विधि आयोग और विभिन्न अन्य निकायों द्वारा समर्थन किए जाने का उल्लेख किया गया। भा.ज.पा. के सदस्यों ने कहा कि ‘एक देश, एक चुनाव’ का प्रस्ताव देश के हित में है और इससे चुनावों की प्रक्रिया को अधिक व्यवस्थित किया जा सकता है।
वहीं, विपक्षी दलों ने इस प्रस्ताव पर चिंता जताई। कांग्रेस के एक सदस्य ने इसे संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ बताया, जबकि तृणमूल कांग्रेस के एक सांसद ने कहा कि इससे लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों का उल्लंघन होगा। विपक्ष का कहना था कि इस प्रस्ताव से राज्यों की स्वायत्तता और लोगों के चुनावी अधिकारों को नुकसान पहुंचेगा।
संविधान में बदलाव के लिए लाए गए इन विधेयकों को लेकर एक संयुक्त संसदीय समिति गठित की गई है, जिसकी अध्यक्षता भा.ज.पा. के सांसद पीपी चौधरी कर रहे हैं। इस समिति में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना, आम आदमी पार्टी, और अन्य प्रमुख दलों के सदस्य शामिल हैं। समिति में 39 सदस्य हैं, जिनमें भा.ज.पा. के 16, कांग्रेस के 5, तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के 2-2, और अन्य छोटे दलों के सदस्य शामिल हैं।
संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024 और संघ राज्य क्षेत्र विधि (संशोधन) विधेयक, 2024 पर विचार करने के लिए यह समिति गठित की गई है। समिति से यह उम्मीद की जा रही है कि वह बजट सत्र के अंतिम सप्ताह तक अपनी रिपोर्ट पेश करेगी। इन विधेयकों को पिछले साल 17 दिसंबर को लोकसभा में पेश किया गया था, और अब इन पर गहन विचार-विमर्श जारी है।
इस प्रस्ताव को लेकर राजनीति में व्यापक चर्चा और विरोध की उम्मीद है, क्योंकि यह सीधे तौर पर देश की चुनावी प्रक्रिया और संविधान से जुड़ा हुआ है।