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PM Modi: भारत कभी ‘विस्तारवादी मानसिकता’ के साथ आगे नहीं बढ़ा: मोदी

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PM Modi Asserts India Has Never Followed Expansionist Mentality: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 नवंबर को गुयाना की संसद के विशेष सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि भारत ने कभी भी “विस्तारवादी मानसिकता” के साथ आगे बढ़ने की कोशिश नहीं की। भारत का उद्देश्य हमेशा दूसरों के संसाधनों को हड़पने का नहीं, बल्कि एक सशक्त और शांतिपूर्ण वैश्विक समाज की दिशा में कार्य करना रहा है। प्रधानमंत्री मोदी का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब दुनिया में चीन के विस्तारवादी व्यवहार और क्षेत्रीय विवादों के कारण भू-राजनीतिक तनाव बढ़ रहे हैं। मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि दुनिया को संघर्षों को बढ़ावा देने वाले कारणों की पहचान करनी चाहिए और उन्हें दूर करने की कोशिश करनी चाहिए।

प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में आतंकवाद, ड्रग्स, और साइबर अपराध जैसी वैश्विक चुनौतियों का उल्लेख करते हुए कहा कि इन समस्याओं से लड़कर ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए बेहतर भविष्य सुनिश्चित कर सकते हैं। उन्होंने कहा, “यह तभी संभव है जब हम लोकतंत्र को प्राथमिकता दें और मानवता को सर्वोच्च स्थान दें।” मोदी ने इस अवसर पर भारत के सिद्धांतों, विश्वास और पारदर्शिता पर आधारित दृष्टिकोण को रेखांकित किया और कहा कि भारत हमेशा दुनिया के साथ इस आदर्श के आधार पर संवाद करता रहा है।

प्रधानमंत्री मोदी ने “लोकतंत्र प्रथम, मानवता प्रथम” के मंत्र को वैश्विक कल्याण के लिए बेहद महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि अंतरिक्ष और समुद्र जैसे मुद्दे सार्वभौमिक संघर्ष के नहीं, बल्कि सार्वभौमिक सहयोग के विषय होने चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि यह समय है जब “ग्लोबल साउथ” के देशों को एकजुट होकर नई वैश्विक व्यवस्था बनाने की दिशा में कदम उठाना चाहिए। यह टिप्पणी उन्होंने उस समय की जब कई विकासशील देशों के बीच वैश्विक मामलों में एकजुटता की आवश्यकता पर जोर दिया जा रहा है।

मोदी ने भारत-गुयाना के सांस्कृतिक संबंधों को भी याद किया और कहा कि भारत और गुयाना के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध रहे हैं, जो डेढ़ सदी से अधिक पुराने हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भारत द्वीप राष्ट्रों को छोटे देशों के रूप में नहीं देखता, बल्कि उन्हें बड़े महासागरीय देशों के रूप में मानता है। उनका कहना था कि भारत हमेशा वैश्विक संकटों के समय सबसे पहले मदद का हाथ बढ़ाता है और इसे “विश्व बंधु” के रूप में अपना कर्तव्य मानता है।

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन के दौरान यह भी कहा कि लोकतंत्र की भावना हमें सबको साथ लेकर चलने और हर किसी के विकास में योगदान देने की प्रेरणा देती है। “मानवता प्रथम” का सिद्धांत हमें यह सिखाता है कि हमारे निर्णयों का परिणाम सभी के लिए लाभकारी होना चाहिए।

इस प्रकार, प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में न केवल भारत की विदेश नीति और अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण को प्रस्तुत किया, बल्कि दुनिया भर में शांति, सहयोग और समझ को बढ़ावा देने के लिए भारत के योगदान की महत्ता को भी रेखांकित किया। उनका यह संदेश दुनिया को एकजुट करने और वैश्विक चुनौतियों का समाधान खोजने की दिशा में प्रेरणादायक है।

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