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RG Kar Case: अनशन स्थल पर डॉक्टरों से मिलने पहुंचे मुख्य सचिव, सीएम ममता ने की बात

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आरजी कर मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टरों द्वारा दुष्कर्म और हत्या के विरोध में किए जा रहे आमरण अनशन के बीच पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव मनोज पंत और गृह सचिव नंदिनी चक्रबर्ती ने प्रदर्शनकारियों से मुलाकात की। इस दौरान, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी फोन पर इन जूनियर डॉक्टरों से बात की और उन्हें अनशन खत्म करने की अपील की। उन्होंने आश्वासन दिया कि वह सोमवार को उनसे व्यक्तिगत रूप से मुलाकात करेंगी।

जूनियर डॉक्टरों का आमरण अनशन तब शुरू हुआ जब एक चिकित्सक की हत्या हुई थी, जिससे चिकित्सकों में रोष और असुरक्षा की भावना बढ़ गई है। उनकी हालत बिगड़ने पर, छह चिकित्सकों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। वर्तमान में, एस्पलेनेड क्षेत्र में अनशन कर रहे आठ चिकित्सकों ने राज्य सरकार से 21 अक्टूबर तक उनकी मांगों पर विचार करने की मांग की है।

एक चिकित्सक ने कहा कि यदि उनकी मांगें 22 अक्टूबर तक पूरी नहीं की गईं, तो वे पूरे राज्य में हड़ताल करने को मजबूर होंगे। चिकित्सकों ने यह भी कहा कि वे चाहते हैं कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी उनके साथ बैठकर बातचीत करें और उनकी सभी मांगों को पूरा करें। इस प्रदर्शन के समर्थन में कई कलाकारों ने भी सांकेतिक भूख हड़ताल की है।

आंदोलनकारी चिकित्सक रविवार को अपनी मांगों को लेकर एक महारैली निकालने की योजना बना रहे हैं। इस रैली में वे स्वास्थ्य सचिव एनएस निगम को हटाने की भी मांग करेंगे। इसके अलावा, उन्होंने राज्य सरकार से केंद्रीयकृत रेफरल प्रणाली स्थापित करने, बेड रिक्ति नियंत्रण प्रणाली, कार्यस्थलों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने, और वॉशरूम निर्माण के लिए एक टास्क फोर्स का गठन करने की मांग की है।

मुख्य सचिव के अनशन स्थल पर पहुंचने पर, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आंदोलनकारी डॉक्टरों से फोन पर बात की और अनशन खत्म करने की अपील की। उन्होंने कहा कि हर किसी को विरोध प्रदर्शन का अधिकार है, लेकिन इससे स्वास्थ्य सेवाओं पर असर नहीं पड़ना चाहिए। सीएम ने आश्वासन दिया कि उनकी अधिकांश मांगें पूरी कर दी गई हैं, और शेष मांगों को पूरा करने के लिए तीन से चार महीने का समय चाहिए।

सीएम ने डॉक्टरों से कहा कि वे सरकार के साथ बातचीत के लिए बैठें और अपना प्रदर्शन समाप्त करें। उन्होंने कहा कि कुछ मांगों को पूरा करने के लिए नीतिगत निर्णयों की आवश्यकता होती है और सरकार यथासंभव सहयोग देने को तैयार है, लेकिन यह स्वीकार नहीं किया जा सकता कि सरकार को निर्देशित किया जाए कि क्या करना चाहिए। इस प्रकार, मुख्यमंत्री ने चिकित्सकों के मुद्दों को गंभीरता से लेते हुए समाधान की दिशा में कदम उठाने का आश्वासन दिया।

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