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राम मंदिर जाने को शंकराचार्य तैयार लेकिन, पीएम मोदी के सामने रख दी शर्त…

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ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर का दौरा करने के लिए सहमत हो गए हैं। हालांकि, इसके लिए उन्होंने एक बड़ी शर्त रखी है। उन्होंने बुधवार को कहा, ”भगवान राम को लाने वाली गौ माता का आज वध किया जा रहा है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इसे रोका नहीं जा पा रहा है। हम भगवान के सामने किस मुंह से खड़े होंगे? यह हमारी व्यक्तिगत भावना है” कि गौहत्या के बाद हम दर्शन करें।”

अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने यूट्यूब चैनल ‘यूपी तक’ से आगे बातचीत के दौरान कहा, ”शिखर निर्माण के बाद विधि विधान से रामलला की प्रतिष्ठा होगी तो हम जरूर अयोध्या जाएंगे। अपने प्रण की रक्षा करते हुए हम सभी कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे लेकिन भगवान के सामने नहीं जाएंगे। उनका कहना है कि वह वहां तभी जाएंगे जब गोहत्या बंद हो जाएगी। अगर उनकी 22 जनवरी 2024 को ही कार्यक्रम आयोजित करने की जिद है तो कम से कम गोहत्या पर प्रतिबंध की घोषणा कर दी जाए। अगर पीएम मोदी ऐसा करें तब भी हम भगवान से प्रार्थना करेंगे कि कृपया जो अपराध हो रहा है उसे लेकर एक एवज में कृपया करें। गोहत्या पर प्रतिबंध लगाना बहुत बड़ा काम होगा।”

अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा, “हमारी पीएम मोदी से किस चीज के लिए शत्रुता होगी? यह तो कोई  जवाब न होने के चलते और हमारी आपत्तियों को खारिज न कर पाने के कारण ही लोग ऐसी बातें कह रहे हैं।” वह कुछ साहसी व्यक्ति हैं और हम ऐसे व्यक्ति को पसंद करते हैं।’ उनके हाथों से गलत काम कराए जा रहे हैं।” उन्होंने आगे कहा- ‘हम नहीं चाहते कि पीएम मोदी के हाथों से कोई गलत काम हो। हम असल तौर पर उनके हितैषी हैं लेकिन राजनीतिक लोग तमगा लगा देते हैं। हम बस यही चाहते हैं कि वह सुशोभित रहें।’

ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य के मुताबिक, सबसे बड़ी आपत्ति यह है कि अभी तक पूरा मंदिर नहीं बना है और ऐसे में वहां प्राण-प्रतिष्ठा करना ठीक नहीं है। अधूरे मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा करने की शास्त्रों में मनाही है। मंदिर भगवान का शरीर है और शिखर सिर है। अभी तक इसका निर्माण नहीं हुआ है और ये लोग उसमे प्राण प्रतिष्ठा करने जा रहे हैं।’ यह बिना सिर वाले धड़ के समान होगा और यह शास्त्रों के अनुसार सही नहीं है।

सरकार के मान-सम्मान और पौरुष से जुड़े सवाल पर शंकराचार्य ने कहा- सोशल मीडिया पर लोग हमें शादी में नाराज हो जाने वाला फूफा कह रहे हैं, लेकिन यहां कोई शादी-ब्याह नहीं हो रहा है। यह हमारी मजबूरी है कि बड़े लोग जो आचरण कर देते हैं, आम जनता उसे उदाहरण मानकर वही करने लगती है। इस लिहाज से आने वाले समय में यह घटनाक्रम नजीर बन जाएगा और बाद में लोग भी ऐसा ही करने लगेंगे।

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