जब हम अपने पुराने घर से नए घर में जाते हैं, तो पुराने घर की यादें-किस्सें,खट्टे-मीठे पलों की स्मृतियां हमारे जहन में हमेशा के लिए रहती है, ऐसा ही कुछ सांसदों के साथ भी देखने को मिल रहा है।
जो अपने पुराने संसद भवन को छोड़कर नई संसद भवन में कदम रखने जा रहे हैं लेकिन पुराने संसद भवन की यादें उनके जहन में आज भी है। ऐसे ही कुछ महिला सांसदों ने पुरानी इमारत से जुड़ी यादें साझा की है।
महिला सांसदों ने पुराने संसद भवन को विदाई देने के लिए हस्तलिखित नोट में ऐतिहासिक इमारत की अपनी यादें संदेश और अनुभव को लोगों के साथ बांटें है।
शिरोमणि अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने अपने नोट में पुरानी संसद भवन के विभिन्न हॉल की अपनी यात्रा का वर्णन किया है, उनका कहना है कि साल 2006 में एक विस्मित दशक से लेकर 2009 में पहली बार की संसद फिर, 2019 में पहली बार मंत्री बनने तक लोकतंत्र के इस मंदिर में 144 स्तंभों ने मेरे लिए ढेर सारी यादें संजोकर रखी है। हर सिमरत कौर बादल ने कहा कि इतिहास और हजारों भारतीय कलाकारों, मूर्तिकारों और मजदूरों की हस्तकला से सुसज्जित यह खूबसूरत इमारत गहन शिक्षा और अत्यधिक संतुष्टि का स्थान रही है। सेंट्रल हॉल जहां मित्रता बनी सभी यादों को जीवन भर संजो कर रखा जाएगा।
तो वहीं शिवसेना की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी कहती है की यादें सीखना, नीति निर्माण, मित्रता, इतिहास, सोच की सुंदरता गहन चर्चा, व्यवधान, दिवस, नेताओं और इतिहास निर्माता को देखा है। मैं राष्ट्र के लिए को सदैव कृतज्ञ हूं।
ऐसे ही अपनी यादों को बयां करते हुए केंद्रीय मंत्री और अपना दल सोनेलाल की सांसद अनुप्रिया पटेल कहती है कि संसद भवन में पहली बार प्रवेश करने के क्षणों को भूलाया नहीं जा सकता है। उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर से 2014 लोकसभा में पहला संसदीय चुनाव जीतने पर संसद भवन के इस पवित्र कैंपस में प्रवेश करना मेरे लिए भावुक और विनम्र क्षण था। मैं गहराई से महसूस कर सकती थी, मैं एक ऐतिहासिक इमारत में प्रवेश कर रही हूं,जिसने भारत को 15 अगस्त 1947 को आजादी दिलवाई।
हमारा संविधान बनाते हुए तथा देश के लोकतांत्रिक संस्थाओं के विकास और उन्हें मजबूत होते देखा अनुप्रिया पटेल कहती है कि मैं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की राजसी प्रतिमा के सामने खड़े होकर काफी अभिभूत महसूस किया। यहां मुझे कई राजनीतिक दलों और प्रतिष्ठित नेताओं से संसदीय प्रक्रियाओं को सीखने का बारीकी से मौका मिला। बदलते वक्त और हमारे उभरते लोकतंत्र की जरूरत को पूरा करने के लिए उद्देश्य से माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने नए संसद भवन की नींव रखी है इस आधुनिक परिसर के बारे में मैं काफी उत्साहित हूं और नए परिसर से हमारे देशवासियों के कल्याण के लिए काम शुरू करने और इतिहास बनाने का हिस्सा बनने को लेकर उत्साहित हूं।
तो वहीं बीजेपी सांसद पूनम महाजन अपने काव्यात्मक अंदाज से विचार को साझा करती है और कहती है की अंतिम जय का वज्र बनाने, दधिची की हड्डियां गलाई, आओ फिर से दिया जलाएं।
टीएमसी की महुआ मोइत्रा कहती है कि इमारत की उनके दिल में हमेशा खास जगह रहेगी। केंद्रीय मंत्री और बीजेपी सांसद स्मृति ईरानी ने अपने नोट में कहा शुभकामनाएं एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले कहती है कि मुझे दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का हिस्सा बनने और उस पुराने खूबसूरत संसद भवन में आयोजित सत्र में भाग लेने का अवसर प्रदान करने के लिए महाराष्ट्र और बासमती के लोगों का धन्यवाद। जो नेताओं की आवाज को प्रतिबिंबित करता है,जिन्होंने हमारे सुंदर देश के विकास में योगदान दिया।
तो वहीं कांग्रेस सांसद राम्या हरिदास पुरानी इमारत के महत्व की यादों को सभी के साथ साझा करते हुए कहती है कि लोकतंत्र का महल है यह और मजबूत निर्णय का जन्म स्थान है अमरावती से निर्दलीय सांसद नवनीत राणा का कहना है की पहली बार जब मैंने संसद में प्रवेश किया वह मेरे लिए यादगार क्षण है, आप, मैं और संसद की यह पीढ़ी आगे न जाने कहां होगी। पिछले दस सालों में संसद में मैंने बहुत सी चीज सीखी। संसद के साथ शानदार यादें जुड़ी है तो वहीं राज्यसभा सांसद और प्रसिद्ध धावक पीटी उषा ने अपने नोट में कहा 1986 में सियोल में स्वर्ण पदक जीतने के बाद एक दशक के तौर पर मैंने पहली बार इस खूबसूरत संसद भवन की यात्रा की थी वह वक्त आज भी याद है कि सभी माननीय सांसदों ने मुझे बधाई और शुभकामनाएं दी थी,उसके बाद में किसी विशेष उद्देश्य से दो या तीन बार संसद में गई लेकिन 27 जुलाई 2022 का दिन मेरे लिए बहुत खास था जीवन में पहली बार मैंने जब राज्यसभा में कदम रखा सीढि़यों को प्रणाम किया और हरिओम का उच्चारण किया।