भले ही विपक्ष के गठबंधन का नया नामकरण इंडिया
इंडिया हो गया हो लेकिन उसमें इंडिया जैसी एकजुटता की जरूरत दिखाई दे रही है। बंगाल की बात की जाए तो पश्चिम बंगाल में बगैर विपक्षी एकजुटता के बीजेपी का मुकाबला करना मुश्किल होगा और यही वजह है कि टीएमसी अध्यक्ष ममता बनर्जी विपक्षी गठबंधन इंडिया को लेकर काफी सकारात्मक नजर आ रही है। ममता बनर्जी गठबंधन की बैठकों में भी बढ़चढ़ कर हिस्सा ले रही है। पश्चिम बंगाल में इंडिया गठबंधन के घटक दल एक दूसरे को घेरने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं, इसके बावजूद इंडिया गठबंधन के घटक दलों को खुद पर यकीन है कि साल 2024 का लोकसभा चुनाव आपस में गठबंधन और तालमेल के साथ लड़ेंगे। प्रदेश कांग्रेस नेता का यह मानना है कि बीजेपी का मुकाबला करना आसान तो नहीं है क्योंकि इस वक्त बीजेपी विधानसभा में मुख्य विपक्षी दल है टीएमसी की पहली प्राथमिकता बीजेपी को रोकने की होगी प्रदेश कांग्रेस के अंदर खाने खबरें ऐसी है कि इंडिया गठबंधन में टीएमसी की सक्रियता से गठबंधन की उम्मीदें जगी है गठबंधन आगे क्या रूप लेगा फिलहाल इस तस्वीर को साफ होने में वक्त तो लगेगा लेकिन उनका यह मानना है कि पश्चिम बंगाल में विपक्षी वोट को एकजुट करने की जरूरत कांग्रेस से ज्यादा टीएमसी को है साल 2019 के चुनाव में टीएमसी ने 22 सीटों पर जीत हासिल की थी 19 सीटों पर वे दूसरे नंबर पर थी 18 सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी।
प्रदेश कांग्रेस की बात की जाए तो अंदर खाने खबरें तो यही है कि टीएमसी के लिए कांग्रेस से ज्यादा बड़ी चुनौती बीजेपी है और ममता बनर्जी यह अच्छी तरह से समझ चुकी है कि पश्चिम बंगाल में विपक्षी वोट को एकजुट रखना है और बीजेपी का मुकाबला करना है तभी तो टीएमसी इंडिया गठबंधन को लेकर गंभीरता से सोच रहीं है।
2019 लोकसभा चुनाव के आंकड़ों की बात की जाए तो कुल सीटें- 42
टीएमसी 22 -43.30 फ़ीसदी, बीजेपी 18 -40.70 फ़ीसदी, कांग्रेस 02- 5.57 फीसदी, वामदल 00-6.33 फीसदी।
साल 2021 विधानसभा चुनाव की बात की जाए– कुल सीटें 294– टीएमसी 215- 48.02 फ़ीसदी, बीजेपी 77 -37.97 फ़ीसदी, कांग्रेस 00-3.03फ़ीसदी, वामदल 01- 10.04 फ़ीसदी और इसके अलावा एक सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी ने भी जीत हासिल की थी।
टीएमसी के नेता सौगत राय का यह कहना है कि मुंबई की बैठक में न केवल पश्चिम बंगाल बल्कि उन राज्यों में भी एकजुट लड़ाई लड़ने की रूपरेखा तैयार की जाएगी जहां विरोधाभास है। मौजूदा परिस्थितियों और किसी नीति के अभाव में बंगाल में कांग्रेस और माकपा के साथ किसी भी तरह का गठबंधन संभव नहीं है।
तो वही दीपा दास मुंशी कांग्रेस कार्यसमिति की सदस्य का कहना है कि इस बैठक के दौरान भाजपा के खिलाफ सीधी लड़ाई के लिए कोई रूपरेखा सामने जरूर आएगी अभी कई विरोधाभास है पिछली बार बंगाल में बीजेपी ने जो 18 लोकसभा सीटें जीती थी वह इंडिया के लिए परीक्षण का मामला हो सकता है।
तो अब राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो मुंबई की बैठक में ही तय होगा सीटों का फार्मूला।
पश्चिम बंगाल में एकजुटता जरूरी
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