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चाचा-भतीजे की बैठक पर मचा बवाल

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जब से एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार की मीटिंग हुई है, उसको लेकर लगातार शक और सवाल उठाए जा रहे हैं। चाचा भतीजे की इस गुप्त बैठक में महाराष्ट्र की सियासत के साथ ही देश की सियासत में भी उबाल ला दिया है हालांकि इस मामले पर एनसीपी प्रमुख सफाई दे चुके हैं तो वहीं महा विकास आघाडी गठबंधन के सहयोगी दलों के अपने-अपने बयान भी सामने आ रहे हैं।एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने बयान जारी कर कहा कि अजित पवार ने उन्हें कोई ऑफर नहीं दिया है और बैठक के दौरान अजीत से कोई ऐसी बात भी नहीं हुई है और अगर फिर भी कांग्रेस के नेता ऐसा कुछ बयान दे रहे हैं तो उन्हें पूरी जानकारी नहीं है। शरद पवार का कहना है कि अजीत मेरे परिवार के सदस्य हैं और परिवार में किसी समारोह की योजना बनानी होती है तो स्वाभाविक रूप से हम दोनों उसमें शामिल होंगे उन्होंने मुझे छोड़ दिया है उन्हें दोबारा टिकट नहीं मिलेगा, तो भी चाचा भतीजे की इस मुलाकात पर इंडिया गठबंधन के नेता उलझे हुए दिखाई दे रहे हैं वे ये समझने की कोशिश में लगे हैं कि आखिर इन दोनों की मुलाकात का मकसद क्या है इसी के साथ यह लोग यह भी मानते हैं कि पवार बीजेपी के साथ तो नहीं जाएंगे। दूसरी तरफ जल्दी ही महाराष्ट्र के मुंबई में इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्‍लूसिव एलायंस की बैठक होने वाली है जो काफी महत्वपूर्ण है और इसकी जिम्मेदारी भी शरद पवार और उद्धव ठाकरे को सौंपी गई है। ऐसे में गठबंधन के नेताओं की शरद पवार से यही उम्मीद है कि वह इस मुलाकात पर चल रहे कयासों को खत्म करेंगे इसके साथ उन लोगों के लिए सोचने की बात यह भी है कि अभी तक उनके लिए साफ नहीं किया गया है कि चाचा और भतीजे के पास कितने विधायक और सांसद हैं और इसके इधर शरद पवार ने बिना नाम लिए धोखा देने वालों को सबक सिखाने की भी बात कही थी पर इस दिशा में उन्होंने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है। गठबंधन के नेताओं का यह भी सोचना है कि शरद पवार को अभी तक कोर्ट का दरवाजा खटखटा देना चाहिए था जैसा उद्धव ठाकरे ने किया था लेकिन पवार साहब ने ऐसा कोई कदम अभी तक नहीं उठाया है और इस बीच शरद पवार और अजीत पवार की मुलाकात कई सवाल खड़े करती है
तो वहीं चुनाव आयोग ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी यानी कि एनसीपी के विरोधी गुटों को पार्टी के नाम और आधिकारिक चिह्न से संबंधित नोटिस का जवाब देने के लिए तीन हफ्ते की मोहलत दी है शरद पवार ने संकेत दिए हैं कि उनके गुट को पार्टी का चुनाव चिन्ह खोने का खतरा है उन्होंने इस मुद्दे पर चुनाव आयोग को जवाब भेज दिया है शिवसेना मामले में चुनाव आयोग का जो निर्णय आया है उसे देखते हुए ऐसा लगता है कि हमारी पार्टी का चुनाव चिन्ह घड़ी खतरे में है।

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वासुदेव अरोड़ा वार्ड नम्बर 37 के मतदाताओं की एक मात्र पंसद

समस्याओं का एक ही समाधान, तीर कमान तीर कामन फरीदाबाद। नगर निगम के वार्ड नम्बर 37 के र्निदलीय उम्मीदवार वासुदेव अरोड़ा को मतदाताओं का भरपूर समर्थन मिल रहा है उनके समर्थकों के तूफान की तेज हवाओं में बाकि सभी उम्मीदवारों की हवा निकल रही है। वार्ड नम्बर 37 में मतदाताओं की एकमात्र पंसद वासुदेव अरोड़ा हैं और वार्ड की जनता जान चुकि है कि समस्याओं का एक ही समाधान तीर कमान। वासुदेव अरोड़ा ने सैक्टर 9 के डोर टू डोर अभियान में मतदाताओं को कहा कि वह अपने वार्ड की सभी समस्याओं से अच्छी तरह वाकिफ हैं और इन समस्याओं के समाधान के लिये 2 मार्च को आप मेरे चुनाव चिन्ह तीर कमान के सामने वाला बटन दबाकर मुझे नगर निगम में पार्षद के रूप में भेजें। समाजसेवी हरीश चन्द्र आज़ाद ने कहा कि वासुदेव अरोड़ा पिछले 25 वर्षों से बिना किसी पावर के अपने वार्ड की समस्याओं का समाधान करते रहते है इसलिये आज हम सभी का कर्तव्य बनता है कि वासुदेव अरोड़ा की सेवाओं को सरकारी ताकत देकर अपने वार्ड के विकास को गति प्रधान करें। सैक्टर 9 में डोर टू डोर अभियान में हर घर से लोग उनको वोट देने का वादा करके उनके साथ समर्थन में उनके हक में वोट की अपील करने उनके साथ निकलते जा रहे थे और वहाँ के लोगों का कहना है कि बाकि नेता केवल वोट के समय नजऱ आते है लेकिन वासुदेव अरोड़ा हर समय उनके सुख-दुख में साथ खड़े रहते हैं इसलिये इस बार उनके बहुत ही भारी मतों से एकतरफा जीत के साथ नगर निगम पंहुचायेंगें। वासुदेव अरोड़ा

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