गांव रिवासा में ग्रामीणों ने लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय के पशु विज्ञान केंद्र पर तालाबंदी कर अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया है । ग्रामीणों ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर नौकरियों में धांधली का आरोप लगाया है।
गांव रिवासा में लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय का पशु विज्ञान केंद्र अस्थाई रूप से पंचायत घर में चल रहा है। ग्रामीणों ने 10 एकड़ पंचायती जमीन रीजनल सेंटर के लिए दी थी परंतु बाद में विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसे पशु चिकित्सा विज्ञान केंद्र बना दिया। गांव के युवाओं को नौकरी लगाने की बजाय पैसे लेकर बाहर के लोगों को नौकरी लगाया जा रहा है। ग्रामीणों ने नौकरियों में धांधली का आरोप लगाया है और कहा है कि विश्वविद्यालय में नियुक्त एक कर्मचारी सांठगांठ करके व पैसे लेकर अनेक युवाओं को नौकरी लगा रहा है।
अभी तक 4 युवा नौकरी पर लगाए गए है । ग्रामीणों ने आज सुबह पशु विज्ञान केंद्र के गेट पर तालाबंदी कर दी और विश्वविद्यालय प्रशासन विरोधी जमकर नारेबाजी की। उन्होंने आरोप लगाया कि पंचायत घर का बिजली बिल लाखों रुपए में पहुंच गया है परंतु विश्वविद्यालय प्रशासन बिजली के बिल को नहीं भर रहा है । ग्रामीणों ने पंचायत भवन को खाली कर नई बिल्डिंग में रीजनल सेंटर को शिफ्ट करने की मांग की वहीं उन्होंने कहा कि नौकरियों में हो रही धांधली की निष्पक्ष जांच की जाए। जिन युवाओं को रिश्वत लेकर नौकरी लगाए गए है उन्हें यहां से हटाया जाए।
उन्होंने कहा कि उन्होंने गांव की जमीन रीजनल सेंटर को दी है , ऐसे में उनके गांव के युवाओं को नौकरी पर रखा जाए । उन्होंने कहा कि सेंटर में कई पोस्ट खाली है परंतु उन पर किसी की नियुक्ति भी नहीं की जा रही है। ग्रामीणों ने कहा कि जब तक उनकी मांगों को पूरा नहीं किया जाएगा तब तक उनका धरना अनिश्चितकाल तक चलता रहेगा।
ग्रामीणों को आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ मनीष यादव, बलवान फौजी , इनेलो जिला अध्यक्ष सुरेंद्र कौशिक, विधायक राव दान सिंह के भाई राव रामकुमार , महिला कांग्रेस की शहरी जिला अधक्ष बाला देवी ,युवा नेता अजय सिगड़िया , राजपा के प्रदेश अध्यक्ष राकेश बसई ,विनोद पाली , डॉ धर्मवीर पायगा ने भी अपना समर्थन दिया। ग्रामीणों के आंदोलन की सूचना पाकर विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से डायरेक्टर रिसर्च नरेश जिंदल तथा रीजनल डायरेक्टर वीरेंद्र पवार धरना स्थल पर पहुंचे परंतु ग्रामीण अपनी मांगों पर अड़े रहे। ग्रामीणों ने गेट का ताला नहीं खोला। इसके बाद वे ग्रामीणों को जल्दी समस्याओं का समाधान का भरोसा देकर वापस लौट गए। उन्होंने कहा कि वे विश्वविद्यालय के कुलपति से विचार-विमर्श करके समाधान का रास्ता निकालेंगे।