सीएए (CAA) के तहत बांग्लादेश,पाकिस्तान और अफगानिस्तान के गैर-मुस्लिम प्रवासियों (हिंदू,पारसी, जैन, सिख, बौद्ध और ईसाई) को अब मिल पाएगा भारतीय होने का प्रमाण पत्र। वही भारत की नागरिकता देने के लिए केंद्र सरकार लोगो के लिए खास पोर्टल ला चुकी है। बता दें ‘भारतीय नागरिकता ऑनलाइन पोर्टल’ (Indian Citizenship Online Portal) नाम की वेबसाइट पर जाकर गैर-मुस्लिम प्रवासी भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन दे सकते हैं। आवदेकों को सबसे पहले ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करना होगा। जिससे उनकी एप्लीकेशन Form IX पर उत्पन्न होगा और ऐप्लिकेशन प्रोसेस खत्म करने के बाद डॉक्यूमेंट्स का वेरिफिकेशन भी किया जाएगा। फिर सिटिजनशिप एक्ट(Citizenship Act ) 1955 के तहत निष्ठा की शपथ (Oath of Allegiance) से जुड़ी करवाई की जाएगी। अंत में इसे समिति के अधिकारी की सहायता से पूरा किया जाएगा।
आखिर क्या हैं? सीएए (CAA)
बता दें ,संशोधन विधेयक (CAA) को पहली बार 1955 के नागरिकता अधिनियम में परिवर्तन करने के लिए 2016 में में पेश किया गया और 8 जनवरी 2019 को लोकसभा द्वारा इस एक्ट को पास किया गया। हालांकि, यह 16वीं लोकसभा के टूटने के साथ ही समाप्त हो गया था। जिसके बाद इसे 9 दिसंबर 2019 को 17वीं लोकसभा में पेश किया गया और फिर 10 दिसंबर, 2019 को पास किया गया। हालांकि राज्यसभा ने भी 11 दिसंबर, 2019 को पास किया।
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नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत में प्रवेश करने वाले नागरिकों को भारतीय नागरिकता का पात्र देने के लिए पारित किया गया था और यह भारत के तीन पडोसी देश अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से छह धर्मों (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई) के प्रवासियों पर लागू किया गया है। भारतीय नागरिकता के लिए व्यक्ति को पिछले 14 सालों में से 11 सालों से भारत में निवास होना का प्रमाण देना होगा। हालांकि, नागरिकता संशोधन बिल 2019 को संसद की मंजूरी मिल गई थी।
रिजेक्ट भी हो सकती हैं ऐप्लिकेशन
सीएए (CAA) नियमों के अनुसार सारे डॉक्यूमेंट की जांच की जाएगी। कि उसमें सभी चीजें सही हैं या नहीं। उसके बाद जरूरी पूछताछ भी की जाएगी और फिर सबकुछ ठीक होने पर ही आवेदक को भारत की नागरिकता प्राप्त होगी।
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