मशहूर यूट्यूबर और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर कामिया जानी को लेकर ओडिशा के श्री जगन्नाथ मंदिर में एंट्री को लेकर खड़ा हुआ विवाद फिलहाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। गोमांस की कथित समर्थक यूट्यूबर कामिया जानी के श्री जगन्नाथ मंदिर में एंट्री के दौरान सत्ताधारी बीजू जनता दल के नेता वीके पांडियन से बातचीत के वायरल वीडियो पर अब केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की भी प्रतिक्रिया सामने आई है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कथित तौर पर ‘बीफ’ को बढ़ावा देने के मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शनिवार को कहा कि जो भक्तों की भावनाओं को आहत करते हों, किसी को ऐसे कृत्यों से बचना चाहिए। वहीं दूसरी ओर बीजेडी नेता वीके पांडियन के वायरल वीडियो पर बीजेपी पार्टी ने भी उनपर गंभीर आरोप भी लगाते हुए कड़ी नाराजगी जताई है।
केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, “सनातन धर्म के अनुयायियों और सभी ओड़िया लोगों के जीवन में भगवान जगन्नाथ का विशेष महत्व माना जाता है। किसी को भी ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए जिससे भगवान जगन्नाथ के भक्तों की भावनाओं को ठेस पहुंचे। इसके आगे उन्होंने यह भी कहा कि जाने-अनजाने में भी किसी को भी ओड़िया लोगों और हमारे पूज्य देवता के अनुयायियों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहिए।”
ओडिशा बीजेपी ने की गिरफ्तारी की मांग
वहीं शुक्रवार 22 दिसंबर को बीजेपी की ओडिशा यूनिट ने व्यापक रूप से फॉलो किए जाने वाले प्रसिद्ध ट्रेवल एंड फूड ब्लॉगर की गिरफ्तारी की मांग की है और यह सवाल भी उठाया कि प्रतिष्ठित मंदिर तक पहुंचने में सत्तारूढ़ बीजेडी के एक नेता ने ‘बीफ प्रमोटर’ को कैसे मदद की और कथित प्रमोटर को 12वीं सदी के मंदिर में प्रवेश की अनुमति कैसे दी गई। वहीं दूसरी ओर ओडिशा बीजेपी के महासचिव जतिन मोहंती ने भी कथित तौर पर करोड़ों हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए IPC की धारा 295 के तहत यूट्यूबर की गिरफ्तारी की मांग की।
बीजेपी के द्वारा जब यह मामला उठाया गया तो उसके बाद सामने आया कि बीजेडी नेता वीके पांडियन के साथ जगन्नाथ मंदिर में महाप्रसाद ग्रहण करने को लेकर फेमस यूट्यूबर कामिया जानी ने एक वीडियो शूट किया था। ओडिशा बीजेपी महासचिव मोहंती के मुताबिक कामिया जानी ने इससे पूर्व में बीफ खाते हुए एक वीडियो पोस्ट किया था जबकि जगन्नाथ मंदिर में गोमांस खाने वालों का प्रवेश पूरी तरह प्रतिबंधित है। जिसके बाद सरकार से आग्रह किया गया कि एक समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप में उनके खिलाफ IPC धारा के तहत मामला दर्ज किया जाए। साथ ही यह भी कहा गया कि अगर उनकी गिरफ्तार नहीं की जाती है, तो हम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।