Editorial: कांग्रेस ने 2022 के 7 सितंबर को राहुल गांधी के नेतृत्व में जब ‘भारत जोड़ो यात्रा’ शुरू की थी, तो उस समय देश उन्हें एक परिपक्व राजनीतिज्ञ के रूप में नहीं जानता था। उन्होंने जब ‘भारत जोड़ो यात्रा’ की शुरुआत की थी, उस समय वह राहुल गांधी नहीं, बल्कि तथाकथित ‘पप्पू’ द्वारा निकाली गई ‘भारत जोड़ो यात्रा’ थी और इसलिए रोज-रोज घोर आलोचना के पात्र वह बनते रहे थे, क्योंकि उनकी छवि बहुत योजनाबद्ध रणनीति के तहत बिगाड़ी गई थी। कुछ दिन पदयात्रा धीरे चली, फिर राहुल गांधी ने प्रतिदिन पच्चीस किमी पदयात्रा करने की घोषणा कर दी। उसके कुछ दिन बाद मेरी बात कांग्रेस के एक धुरविरोधी भाजपा बीट कवर करने वाले ‘बड़े पत्रकार’ से हो रही थी। उन्होंने कहा, यह सब बेकार की यात्रा है।
जो अपनी पार्टी को जोड़कर नहीं रख सका, वह देश क्या जोड़ेगा और इसलिए यह यात्रा अपनी पार्टी को पुनर्जीवित करने के लिए है। यह कुछ दिन में खत्म भी हो जाएगी और यदि कुछ दिन और चली, तो वह अकेले भारत जोड़ते दिखेंगे। लेकिन, सच बिल्कुल उलट साबित हुआ और राहुल गांधी का समाज से छुपा दिया गया चेहरा निखरकर सामने आ गया। आज वह राहुल गांधी नहीं हैं, जो पिछले वर्ष 2022 में थे, लेकिन अब जो 14 जनवरी से उनकी दूसरी ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ शुरू होने जा रही है, उनकी आलोचना शुरू हो चुकी है।
पार्टी प्रवक्ता के अनुसार, यह यात्रा पूरब से पश्चिम, यानी मणिपुर से मुंबई तक होगी। इसे कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे इम्फाल में हरी झंडी दिखाकर शुरू कराएंगे। 14 जनवरी से शुरू होने वाली यह यात्रा 20 मार्च तक चलेगी। वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव से थोड़े दिन पहले तक। ‘भारत न्याय यात्रा’ के दौरान राहुल गांधी 14 राज्यों के 85 जिलों से गुजरेंगे। यात्रा मणिपुर से शुरू होकर नगालैंड, असम, मेघालय, बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात से होकर महाराष्ट्र में मुंबई में समाप्त होगी। इस यात्रा में कुल 6500 किमी की दूरी तय की जाएगी, जबकि ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान राहुल गांधी ने 4000 किमी की यात्रा की थी। ज्ञात हो कि ‘भारत जोड़ो यात्रा’ कन्याकुमारी से कश्मीर तक की हुई थी।
28 दिसंबर को नागपुर में आयोजित 139वें स्थापना दिवस पर ‘हैं हम तैयार’ का नारा देते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने वर्ष 2024 के चुनाव का रैली के माध्यम से शंखनाद करते हुए अपने इतिहास को दोहराने का प्रयास किया। सच तो यह है कि देश की सबसे पुरानी पार्टी होने के साथ ही इसके योगदान को किसी भी रूप में अनदेखा नहीं किया जा सकता है, जबकि सत्तारूढ़ भाजपा ने नारा दिया था कि देश को कांग्रेस मुक्त करा देंगे। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस के नेताओं ने कहा था कि कांग्रेस वही पार्टी है, जिसने अंग्रेजों से लोहा लिया। फिर जब अंग्रेज भारत को कांग्रेस मुक्त नहीं करा सके, तो भाजपा कैसे भारत को कांग्रेस से मुक्त करा सकेगी। वह स्वयं कुछ वर्षों में मुक्त हो जाएगी।
फिर इस पार्टी को गांधीजी जैसा नेतृत्व करने वाला भी मिला, जो शक्ति और सक्रियता के महारथी थे। वह एक ऐसे शख्स थे, जो अपने आप को आगे नहीं बढ़ाते थे, बल्कि दूसरों को भी आगे बढ़ाते रहे। सैम पित्रोदा वह व्यक्ति हैं, जिन्हे संचार क्रांति का जनक माना जाता है। साथ ही उन्होंने भारत सरकार को तकनीकी सहयोग देने के लिए राजीव गांधी सहित देश के लगभग आठ प्रधानमंत्रियों के साथ भारत के विकास के लिए कंधे से कंधा मिलाकर भारत की संचार क्रांति के नायक कहलाए। यदि देश की जनता जागरूक नहीं हुई और सड़क पर उतरकर ईवीएम हटाने की मांग को मूर्त रूप नहीं दिया, तो फिर 2024 का चुनाव विपक्ष के हाथ निकल चुका होगा। राहुल गांधी की पहली यात्रा और आगामी 14 जनवरी से दूसरी न्याय यात्रा का लाभ देश को मिलेगा, क्योंकि जिस नि:स्वार्थ भाव से राहुल गांधी लोगों के दिलों समा रहे हैं। (यह लेखक के निजी विचार हैं।)
- निशिकांत ठाकुर