झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बुधवार को घोषणा की कि राज्य में औद्योगिकीकरण या खनन के नाम पर तब तक किसी भी व्यक्ति का विस्थापन नहीं किया जाएगा, जब तक कि सरकार स्थानीय लोगों को रोजगार देने के लिए एक नीति नहीं बनाती। उन्होंने यह बयान सरायकेला विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के उम्मीदवार और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के खिलाफ चुनाव लड़ रहे झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के उम्मीदवार गणेश महाली के समर्थन में आयोजित एक जनसभा में दिया।
हेमंत सोरेन ने कहा, “झारखंड में अधिकांश भूमि आदिवासियों के पास है और भाजपा सरकार की नीतियों का मुख्य उद्देश्य उनकी ज़मीन हड़पना है। सरकार को ऐसी नीति बनानी चाहिए, जिससे हम यह जान सकें कि उद्योगों और विकास परियोजनाओं में स्थानीय लोगों को कितनी नौकरियां मिलेंगी।”
मुख्यमंत्री ने आगे कहा, “झारखंड में खनिज संसाधन प्रचुर मात्रा में हैं, लेकिन यहां के लोग गरीब हैं। मैं जानता हूं कि राज्य में कितने गरीब और अमीर लोग रहते हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि औद्योगिकीकरण और खनन के बहाने आदिवासियों को उनकी जमीन से विस्थापित किया गया है।
हेमंत सोरेन ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि राज्य में अधिकांश उद्योग और खदानें “भाजपा के मित्रों” के स्वामित्व में हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा द्वारा दबाव डालने पर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) उनके खिलाफ झूठे आरोप लगाए और उन्हें जेल भेजने की कोशिश की। हालांकि, उन्हें उच्च न्यायालय से जमानत मिल गई और वे जेल से रिहा हो गए।
मुख्यमंत्री ने कहा, “भाजपा ने हमारी सरकार को अस्थिर करने की कोशिश की, लेकिन हमें विश्वास है कि हम विधानसभा चुनावों में फिर से सत्ता में आएंगे।”
झारखंड की 81 सदस्यीय विधानसभा के लिए मतदान 13 और 20 नवंबर को होगा, जबकि मतगणना 23 नवंबर को होगी।