झारखंड के वन विभाग ने पलामू टाइगर रिजर्व (पीटीआर) में जंगली भैंसों की घटती संख्या को बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण अध्ययन शुरू किया है। इस अध्ययन का उद्देश्य इन भैंसों की संख्या में सुधार लाना और उनके प्राकृतिक आवास को संरक्षित करना है।
विलुप्त हो रही जंगली भैंसों की संख्या
झारखंड के वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार, प्रदेश में जंगली भैंसों की संख्या में लगातार गिरावट आई है। वर्तमान में, पलामू टाइगर रिजर्व में सिर्फ 50 से 70 जंगली भैंसे ही बचे हुए हैं, जबकि अन्य क्षेत्रों से ये पूरी तरह से विलुप्त हो चुके हैं। यह गिरावट अवैध शिकार, संक्रमण और स्थानीय मवेशियों द्वारा उनके आवास में अतिक्रमण के कारण हो रही है।
मवेशियों का खतरा और उनकी भूमिका
पूर्व वन्यजीव बोर्ड सदस्य डीएस श्रीवास्तव के अनुसार, एक समय झारखंड के कई जंगलों में जंगली भैंसों की अच्छी खासी आबादी थी, लेकिन अब ये पूरी तरह से गायब हो गए हैं। पलामू टाइगर रिजर्व ही आखिरी जगह है जहां कुछ जंगली भैंसे बची हुई हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि गांवों के आसपास 1.5 लाख से अधिक पालतू मवेशी इन भैंसों के लिए बड़ा खतरा बन गए हैं। ये मवेशी जंगली भैंसों का चारा खाते हैं और विभिन्न बीमारियां फैला रहे हैं, जिससे जंगली भैंसों की संख्या पर बुरा असर पड़ रहा है।
अधिकारियों द्वारा अध्ययन की प्रक्रिया
पलामू टाइगर रिजर्व के निदेशक कुमार आशुतोष ने कहा कि विभाग जंगली भैंसों के व्यवहार और उनके जीवन यापन की आवश्यकताओं का अध्ययन कर रहा है। साथ ही, जंगली भैंसों की संख्या बढ़ाने के उपायों पर भी विचार किया जा रहा है। इसके अलावा, उनकी पसंदीदा घासों की प्रजातियों और उनके आवास को सुधारने पर भी अध्ययन किया जा रहा है।
बचाव के लिए भविष्य की योजनाएं
पीटीआर के उपनिदेशक प्रजेश जेना ने बताया कि 1970 के दशक में इस रिजर्व में लगभग 150 जंगली भैंसे थे, लेकिन अब उनकी संख्या घटकर 50-70 रह गई है। उन्होंने कहा कि बाघों के लिए भी ये भैंसे एक अच्छा भोजन स्रोत हैं, इसीलिए इनकी संख्या बढ़ाना जरूरी है। अध्ययन के बाद, विभाग इस संकट का समाधान खोजने के लिए एक व्यापक योजना तैयार करेगा।