Wednesday, April 2, 2025
31.5 C
Faridabad
इपेपर

रेडियो

No menu items!
HomeLATESTबिना वैध कागजात को दूसरे देश में घुसपैठियों की तरह क्यों जाएं?

बिना वैध कागजात को दूसरे देश में घुसपैठियों की तरह क्यों जाएं?

Google News
Google News

- Advertisement -


संजय मग्गू
अमेरिका से तीन बार में भारत डिपोर्ट किए गए लोगों में हरियाणा के लगभग सौ लोग शामिल हैं। तीसरी खेप में ही हरियाणा के 44 युवा शामिल थे।भविष्य में अभी कितने लोग अमेरिका से भारत डिपोर्ट किए जाएंगे, इसकी कोई जानकारी नहीं है। अमेरिकी सरकार द्वारा भारतीयों को हथकड़ी बेड़ी पहनाकर भेजने पर देश में राजनीतिक माहौल सरगर्म है। विपक्षी दल भारत पर अमेरिका के सामने विरोध दर्ज कराने को लेकर दबाव बना रहे हैं। इस मामले में केंद्र सरकार पूरी तरह चुप है। विदेश विभाग के अधिकारी यह कहकर मामले को टालने का प्रयास कर रहे हैं कि हर देश की घुसपैठियों को डिपोर्ट करने का अपना-अपना तरीका होता है। इस मामले में कम से कम हरियाणा सरकार ने उन लोगों और एजेंसियों पर कड़ी कार्रवाई करनी शुरू कर दी है, जो प्रदेश के युवाओं को डंकी रूट या फर्जी कागजात का सहारा लेकर अमेरिका और दूसरे देश में भेजने के नाम पर ठगी करते हैं। सीएम सैनी ने पुलिस अधिकारियों को सख्त आदेश दिया है कि प्रदेश के युवाओं को बरगलाने, उन्हें विदेश में भारी भरकम कमाई का सपना दिखाकर कनाडा, अमेरिका, इंग्लैंड आदि देशों में भेजने का ठेका लेने वाली एजेंसियों और व्यक्तियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करे। यदि पुलिस इस मामले में थोड़ी गंभीरता से काम करे, तो विदेश भेजने के नाम पर होने वाली ठगी और प्रदेश के युवाओं के जीवन से होने वाला खिलवाड़ रोका जा सकता है। गलत तरीके से विदेश जाने का प्रयास करने वाले युवाओं को किस तरह की परेशानियां उठानी पड़ती है, इसका खुलासा डिपोर्ट किए गए कुछ युवकों ने बता दिया है। भूखे-प्यासे, थकान से बेदम भारतीय युवा यदि गैरकानूनी तरीके से किसी देश में घुसने में कामयाब भी हो जाते हैं, तो फर्जी एजेंटों के विदेश में बैठे एजेंट इन युवाओं का शोषण करना बंद नहीं करते हैं। नदी, जंगल, रेगिस्तान, सर्दी-गरमी में अपने को कष्ट पहुंचाकर अवैध रूप से किसी देश में घुसकर अच्छी कमाई का सपना देखने वाले यह समझना चाहिए कि जब वह 25-30 से लेकर 60-65 लाख रुपये तक खर्च करने और अपनी जान जोखिम में डालने के बाद इच्छित मुल्क में पहुंचकर भी वे क्या कर लें? इससे बेहतर है कि वह इतनी रकम अपने ही देश में खर्च करके कोई बढ़िया सी दुकान खोल लेते या फिर कोई नया व्यवसाय शुरू कर सकते थे। ऐसा करके वह अपने साथ-साथ कुछ और लोगों को भी रोजगार मुहैया करा सकते थे। लाखों रुपये खर्च करने के बाद अब जब उन्हें डिपोर्ट होना पड़ा है, तो उनके मां-बाप को कैसा महसूस हो रहा होगा। उन्हें विदेश भेजने के लिए परिवार वालों को जेवर, गाड़ी, मकान और जमीन जायदाद तक बेजना पड़ा है।

- Advertisement -
RELATED ARTICLES
Desh Rojana News

Most Popular

Must Read

UJBEKISTAN AARTIST : भारतीय संस्कृति एवं राधा कृष्ण को रंगों में रंगती उज़्बेकिस्तान की पेंटर आर्टिस्ट नीलोफर यार्माटोवा

मुकेश डोलिया भारतीय संस्कृति बहुत विशाल और विभिन्न कलाओं से समृद्ध और परिपूर्ण है । देश के प्रत्येक राज्य के  रीति रिवाजों, त्योहारों,उत्सवों मेलों की...

TWIST IN KARAN DALAL GAURAV GAUTAM CASE  : हाईकोर्ट में 3 अप्रैल की सुनवाई टली, 8 अप्रैल की नई तारीख मिली

चंडीगढ़ । विधानसभा चुनाव में धर्म के नाम पर वोट मांगने के आरोप के साथ हरियाणा के युवा उद्यमिता वह खेल राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार...

FARIDABAD NEWS : फरीदाबाद की खुशी एक एहसास एनजीओ को मिली एम्बुलेंस

फरीदाबाद। सायरन इंडिया कंपनी लिमिटेड गुड़गांव कार्यालय ने सीएसआर (CSR) पहल के तहत समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए फरीदाबाद की खुशी एक एहसास...

Recent Comments