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क्या बेटियां सिर्फ नारे बनकर या सत्ता में आने भर का एजेंडा बनकर रह गई हैं। 

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क्या हमने मेडल इसलिए जीते थे कि तंत्र हमारे साथ घटिया व्यवहार करे। हमें घसीटे और फिर हमें ही अपराधी बना दे। क्या महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न पर इंसाफ मांगकर कोई अपराध किया है। पुलिस और तंत्र हमारे साथ अपराधियों जैसा व्यवहार कर रहा है। शोषण करने वाला खुली सभाओं में फब्तियां कसकर ठहाके लगा रहा है। प्रधानमंत्री ने हमें अपने घर की बेटियां बताया लेकिन एक बार भी सुध नहीं ली। उलटा नई संसद के उद्घाटन में शोषण करने वाले को बुलाया। क्या बेटियां सिर्फ नारे बनकर या सत्ता में आने भर का एजेंडा बनकर रह गई हैं। 

आपको बता दे कि ये शब्द उन पहलवानों के है। जो दिल्ली जंतर मंतर पर (WFI) के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण सिंह के खिलाफ धरना दे रही थी । भारतीय कुश्ती संघ (WFI) के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण सिंह के खिलाफ धरना देने वाले पहलवान मंगलवार यानी आज  शाम 6 बजे हरिद्वार में अपने मेडल गंगा में प्रवाहित करेंगे।  दरअसल ये पहलवान रेसलिंग फेडरेशन (WFI) के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी के लिए जंतर-मंतर पर धरना दे रहे थे।  और बीते रविवार को पुलिस से हुई झड़प के बाद ये जंतर-मंतर से लौट आए हैं। वही रेसलर साक्षी मलिक ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा कि मेडल्स गंगा में प्रवाहित करने के बाद इंडिया गेट पर आमरण अनशन करेंगे।

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