बांग्लादेश(Bangladesh News: ) में हाल ही में हुए आरक्षण विरोधी आंदोलन के दौरान हुई हिंसा में एक सुनार की हत्या के मामले में पूर्व स्पीकर शिरीन शर्मिन चौधरी और पूर्व वाणिज्य मंत्री टीपू मुंशी को गिरफ्तार किया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी गई। इन प्रदर्शनों के कारण देश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार गिर गई थी। बांग्लादेश के अंग्रेजी अखबार ‘ढाका ट्रिब्यून’ के अनुसार, रंगपुर में दर्ज एक हत्या के मामले में पूर्व वाणिज्य मंत्री मुंशी (74) को रैपिड एक्शन बटालियन ने ढाका के गुलशन में बुधवार रात गिरफ्तार किया है।
Banladesh News: 19 जुलाई को सुनार मिलन की हत्या हुई थी
रिपोर्ट के अनुसार, प्रदर्शन के दौरान 38 वर्षीय सुनार मुस्लिम उद्दिन मिलन की हत्या के लिए मुंशी और संसद की पूर्व अध्यक्ष चौधरी सहित 17 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। इस मामले में कई अज्ञात लोग भी आरोपी हैं। शिरीन शर्मिन चौधरी (46) अप्रैल 2013 से अगस्त 2024 तक बांग्लादेश जातीय संसद की पहली महिला अध्यक्ष रही थीं। डेली स्टार समाचार पत्र के अनुसार, बांग्लादेश में नौकरियों में आरक्षण में सुधार की मांग को लेकर छात्रों के नेतृत्व में हुए आंदोलन के दौरान 19 जुलाई को रंगपुर में सुनार मिलन की हत्या कर दी गई थी। इन प्रदर्शनों के चलते पांच अगस्त को 76 वर्षीय हसीना की अवामी लीग सरकार को सत्ता से हटना पड़ा था।
Bangladesh News:प्रदर्शन के दौरान छात्र और आवामी लीग के कार्यकर्ताओं के बीच हुई थी झड़प
इस मामले में दर्ज बयान के अनुसार, सिटी बाजार क्षेत्र में प्रदर्शन के दौरान छात्रों और अवामी लीग के कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हुई थी, तब पुलिस ने आरोपी लोगों के आदेश के तहत अंधाधुंध गोलीबारी की थी। उस समय मिलन को गोली लगी और उसे रंगपुर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल ले जाया गया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया। हसीना के नेतृत्व वाली सरकार गिरने के बाद अवामी लीग के कई वरिष्ठ नेता, सांसद और पूर्व मंत्री अज्ञात स्थानों पर जा छुपे थे। प्रमुख बांग्ला भाषा के समाचार पत्र प्रथम आलो के अनुसार, मुंशी भी पांच अगस्त से छुपे हुए थे। वह हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग सरकार के लगातार तीसरे कार्यकाल के दौरान वाणिज्य मंत्री बने थे। प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद शेख हसीना पांच अगस्त को भारत चली गई थीं। उनके खिलाफ हत्या समेत कम से कम 75 मामले दर्ज हैं। इस घटना ने बांग्लादेश की राजनीति में हलचल मचा दी है और देश में राजनीतिक अस्थिरता बढ़ा दी है।
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