आगामी चार जून को प्रदेश की दस लोकसभा सीटों के परिणाम अब चाहे जो हों, लेकिन आगामी विधानसभा चुनाव में अपनी सफलता सुनिश्चित करने के लिए भाजपा और प्रदेश सरकार ने अपनी कमर कसनी शुरू कर दी है। चार जून को आचार हटते ही प्रदेश सरकार उन मुद्दों पर सबसे पहले ध्यान देगी जिन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान काफी दिक्कतें हुईं। सबसे पहले तो वह बेरोजगारी कम करने की दिशा में तेजी से कदम उठाएगी। तीन दिन पहले पंचकूला भाजपा कार्यालय में हुई बैठक में सभी कील-कांटे दुरुस्त करने का फैसला किया गया है। ऐसा कहा जा रहा है। बैठक में लिए गए फैसले के मुताबिक काफी दिनों से लंबित ग्रुप सी की 60 पदों पर भर्ती की प्रक्रिया तेजी से निपटाई जाएगी।
प्रदेश के युवा पिछले काफी दिनों से बेरोजगारी को लेकर अपना रोष प्रकट कर रहे हैं। मतदाताओं को लुभाने के लिए आयुष्मान कार्ड के लिए आय की सीमा को बढ़ाया जा सकता है। अधिक से अधिक लोगों तक इस सुविधा का लाभ पहुंचाकर भाजपा और सरकार इन्हें विधानसभा में अपने पक्ष मतदान करने की कोशिश करेगी। इस बार लोकसभा चुनावों के दौरान सबसे ज्यादा दिक्कत किसानों ने खड़ी की है। उन्होंने भाजपा प्रत्याशियों का न केवल विरोध किया है, बल्कि काले झंडे दिखाकर गांव में घुसने तक नहीं दिया है। किसान आंदोलन के दौरान प्रदेश सरकार द्वारा अपनाए गए रवैये से किसान नाराज हैं। अब प्रदेश सरकार और संगठन किसानों को मनाने की भरपूर कोशिश करने के लिए तैयार हो गए हैं। अभी विधानसभा चुनाव में लगभग तीन महीने बाकी हैं।
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एमएसपी पर कोई न कोई बीच का रास्ता निकालकर और किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेकर भाजपा किसानों को मना सकती है। इसके लिए किसान नेताओं की भी मदद ली जा सकती है। इसके साथ साथ सरपंचों और पार्षदों को भी मनाने का प्रयास किया जा रहा है। पिछले काफी दिनों से सरपंच और पार्षद सरकार के खिलाफ धरना-प्रदर्शन कर रहे थे क्योंकि सरकार ने सरपंचों के अधिकार सीमित कर दिए थे और पार्षदों को ज्यादा अधिकार दिए ही नहीं थे। इससे वे सरकार और भाजपा से काफी नाराज चल रहे थे।
आशंका तो यह भी जताई जा रही है कि इस बार किसानों, सरपंचों और पार्षदों ने मतदान में हिस्सा ही नहीं लिया। अगर वे मतदान करने भी गए तो उन्होंने भाजपा के विरोधी दलों को वोट दिया है। भाजपा विधानसभा चुनावों के दौरान इस तरह का जोखिम उठाने के मूड में नहीं है। यही वजह है कि सरपंचों और पार्षदों को मानने के लिए मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी खुद पहल कर रहे हैं। उनसे बातचीत कर रहे हैं। संभव है कि जल्दी ही इन सरपंचों और पार्षदों के अधिकार बहाल कर दिए जाएं।
-संजय मग्गू
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