देश रोज़ाना: हकीम लुकमान का नाम प्राचीन अरबी साहित्य में बड़े अदब से लिया जाता है। कुरान में भी लुकमान का नाम आया है। अब वह हकीम लुकमान के बारे में है या पैगंबर लुकमान के बारे में। यह निश्चित नहीं है। दोनों व्यक्ति एक ही थे या अलग-अलग, इसके बारे में भी निश्चित नहीं कहा जा सकता है। इसके बारे में विद्वान ही बता सकते हैं। वैसे प्राचीन पुस्तकों में हकीम लुकमान को एक बुद्धिमान व्यक्ति माना गया है। कहा जाता है कि हकीम लुकमान ने अपनी दवाओं से लोगों की बहुत सेवा की। उन्होंने अपनी चमत्कारी औषधियों से हर किसी का इलाज किया, जो भी उनके पास अपनी बीमारियों को लेकर पहुंचा। उन्होंने लोगों को सादगी से जीवन बिताने, लोगों का भला करने की सीख आजीवन दी।
जब उनका आखिरी समय आया, तो उन्होंने अपने बेटे को बुलाकर कहा कि जाओ, कोयले और चंदन का एक-एक टुकड़ा ले आओ। बेटे ने सोचा कि शायद अंतिम दिनों में उसके पिता का दिमाग हिल गया है, लेकिन उनका कहा तो मानना ही था। वह रसोई में गया और एक टुकड़ा कोयले का उठाया और घर में ही चंदन का टुकड़ा भी मिल गया। वह दोनों लेकर अपने पिता के पास पहुंचा, तो हकीम लुकमान ने कहा कि जाओ, दोनों को फेंक आओ। फेंकने के बाद लौटने पर लुकमान ने उसके दोनों हाथों को देखते हुए कहा कि कोयले के टुकड़े ने तुम्हारे हाथ को काला कर दिया, जबकि जिस हाथ में चंदन था, वह हाथ महक रहा है।
अच्छे आदमी और बुरे आदमी की संगति ऐसी ही होती है। बुरा आदमी हमेशा कोयले की तरह होता है। वह जीवन में मुसीबत का कारण बनता है, वहीं अच्छे आदमियों की संगति में जीवन महक उठता है। जीवन में अच्छे-बुरे आदमी की पहचान करना सीख लो, इससे तुम्हें जीवन बिताने में आसानी होगी। बेटे ने अपने पिता के संदेश को अच्छी तरह समझ लिया।
अशोक मिश्र