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bpsc bihar:बीपीएससी परीक्षा में अनियमितताओं पर जन सुराज पार्टी ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर

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बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की परीक्षा (bpsc bihar:)में कथित अनियमितताओं को लेकर जन सुराज पार्टी के नेता प्रशांत किशोर ने आमरण अनशन शुरू कर दिया है। इसी बीच, पार्टी ने परीक्षा रद्द करने की मांग करते हुए पटना उच्च न्यायालय का रुख किया है। किशोर के अधिवक्ता प्रणव कुमार ने बताया कि याचिका पर सुनवाई 15 जनवरी को न्यायमूर्ति अरविंद सिंह चंदेल की एकल पीठ में होगी।

अधिवक्ता प्रणव(bpsc bihar:) कुमार ने कहा कि याचिका में 13 दिसंबर को आयोजित बीपीएससी संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा में हुई अनियमितताओं को उजागर किया गया है। इसमें मुख्य रूप से परीक्षा हॉल में मोबाइल फोन ले जाने, जैमर की अनुपस्थिति और समूह में प्रश्नपत्र हल करने जैसी समस्याओं का जिक्र किया गया है। उन्होंने बताया कि यह समस्याएं केवल बापू परीक्षा केंद्र तक सीमित नहीं थीं, बल्कि राज्य के कई अन्य केंद्रों पर भी देखी गईं।

राज्यभर में आयोजित इस परीक्षा में लगभग पांच लाख अभ्यर्थियों ने भाग लिया, जो 900 से अधिक केंद्रों पर आयोजित हुई थी। बापू परीक्षा केंद्र में हुई अनियमितताओं के कारण 12,000 अभ्यर्थियों के लिए पुन: परीक्षा कराई गई। हालांकि, कई अभ्यर्थियों ने इसे “समान अवसर” का उल्लंघन बताते हुए नाराजगी जाहिर की और परीक्षा रद्द करने की मांग की।

बीपीएससी ने परीक्षा में किसी भी तरह की अनियमितता के आरोपों को खारिज करते हुए इसे परीक्षा रद्द करवाने के लिए “साजिश” करार दिया। हालांकि, जन सुराज पार्टी और प्रशांत किशोर का कहना है कि परीक्षा में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं हुई हैं और इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।

परीक्षा रद्द करने की मांग को लेकर प्रशांत किशोर ने 2 जनवरी से आमरण अनशन शुरू किया है। चिकित्सकों की सलाह के बावजूद उन्होंने अनशन तोड़ने से इनकार कर दिया है। जन सुराज पार्टी का कहना है कि अगर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार छात्रों के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात कर समाधान का प्रयास करते हैं, तो प्रशांत किशोर अनशन समाप्त करने पर विचार कर सकते हैं।परीक्षा में कथित अनियमितताओं को लेकर छात्रों और जन सुराज पार्टी की ओर से दबाव बढ़ रहा है। छात्रों ने निष्पक्षता और समान अवसर की मांग करते हुए परीक्षा को रद्द करने की अपील की है। अब देखना यह है कि 15 जनवरी को पटना उच्च न्यायालय इस मामले में क्या फैसला देता है।

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