CBI ने आईएएस अधिकारी पद्मा जायसवाल के खिलाफ आरोपपत्र(CBI IAS Chargesheet : ) दाखिल किया है। उन पर अपने रिश्तेदारों के नाम पर संपत्ति खरीदने के लिए सरकारी खाते से पैसे निकालने का आरोप है। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी।
CBI IAS Chargesheet : 2007 में जायसवाल ने की गड़बड़ी
वर्ष 2003 बैच की एजीएमयूटी कैडर की आईएएस अधिकारी जायसवाल ने 2007 में अरुणाचल प्रदेश के कामेंग में उपायुक्त रहते हुए यह कथित गड़बड़ी की थी। वर्तमान में वे पुडुचेरी में तैनात हैं। सीबीआई ने इस मामले में भ्रष्टाचार और सरकारी धन की हेराफेरी के आरोप में पश्चिम कामेंग के तत्कालीन वित्त एवं लेखा अधिकारी नोर बहादुर सोनार और तत्कालीन खजांची रिनचिन फुनत्सोक के खिलाफ भी आरोपपत्र दाखिल किया है। सीबीआई के प्रवक्ता द्वारा जारी बयान के अनुसार, जायसवाल ने अपने सरकारी पद का दुरुपयोग करते हुए निजी उद्देश्यों के लिए सरकारी खाते से नकदी निकाली, ‘डिमांड ड्राफ्ट’ तैयार किए और उस राशि को चंडीगढ़ स्थित भारतीय स्टेट बैंक की शाखा में निजी व्यक्तियों के खातों में भेजा। जायसवाल से इस मामले पर प्रतिक्रिया लेने के लिए उनके सरकारी ई-मेल आईडी पर सवाल भेजे गए ।
28 लाख रुपये के 10 डिमांड ड्राफ्ट जारी करवाए गए
सीबीआई की जांच में यह सामने आया कि जायसवाल ने सोनार और फुनत्सोक के साथ मिलकर एक आपराधिक साजिश रची थी। इस साजिश के तहत उन्होंने सरकारी धन से तीन डिपॉजिट एट कॉल रिसीट (डीसीआर) तोड़कर 28 लाख रुपये के 10 डिमांड ड्राफ्ट जारी करवाए और इस राशि का उपयोग अपने रिश्तेदारों के नाम अचल संपत्तियां खरीदने में किया। बयान में यह भी कहा गया कि आरोपी जायसवाल ने कई मौकों पर कैशियर फुनत्सोक और वित्त एवं लेखा अधिकारी सोनार को अपने कार्यालय में बुलाकर उनसे वापसी योग्य आधार पर नकद पैसे निकालने को कहा और कथित तौर पर इस राशि का दुरुपयोग किया। सीबीआई ने आरोप लगाया है कि जायसवाल ने अन्य आरोपियों के साथ मिलकर 28 लाख रुपये की राशि के ड्राफ्ट और कॉल रिसीट (डीसीआर) तैयार करवाकर खजाने से राशि जारी करवाने में बड़ी प्रक्रियागत चूक की। सीबीआई के अनुसार, यह मामला सरकारी पद का दुरुपयोग कर निजी लाभ के लिए सरकारी धन की हेराफेरी का है, जिसके लिए जायसवाल और उनके सहयोगियों पर कानूनी कार्रवाई की जा रही है।