कांग्रेस ने बुधवार को आरोप लगाया कि चीन(Congress China: ) से अनियंत्रित आयात ने भारतीय घरेलू उद्योगों पर भारी असर डाला है और सरकार इस पर चुप्पी साधे हुए है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सरकार पर देश की क्षेत्रीय अखंडता और आर्थिक समृद्धि को नुकसान पहुंचाने वाले चीनी आयात पर सोची-समझी चुप्पी और निष्क्रियता का आरोप लगाया।
Congress China: रमेश ने जीटीआरआई की रिपोर्ट का दिया हवाला
रमेश ने ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि चीन से आने वाले आयात ने भारतीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र को भारी नुकसान पहुंचाया है। उन्होंने बताया कि भारतीय अर्थव्यवस्था की चीनी आयात पर निर्भरता लगातार बढ़ रही है, जिसमें 96% छाते और 50% से अधिक खिलौने और संगीत उपकरण चीन से आयात किए जा रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का चीन से आयात 2016-17 में 1.4 अरब डॉलर से बढ़कर 2023-24 में 12.1 अरब डॉलर हो गया है। इसी तरह, दवा सामग्री का आयात 1.6 अरब डॉलर से दोगुना होकर 3.3 अरब डॉलर हो गया है।
कहा, टिकटॉक पर प्रतिबंध लगाकर किया गया दिखावा
कांग्रेस नेता ने चीन की औद्योगिक अतिक्षमता और डंपिंग पर अन्य देशों द्वारा उठाए गए कदमों का जिक्र करते हुए कहा कि जबकि अन्य देश चीनी आयात को रोकने के लिए सक्रिय रणनीतियों का पालन कर रहे हैं, भारत सरकार इस मामले में सुस्त है। रमेश ने आरोप लगाया कि “टिकटॉक” पर प्रतिबंध लगाकर दिखावा किया गया, जबकि वास्तविक समस्या, यानी आयात, बढ़ता जा रहा है। रमेश ने विशेष रूप से गुजरात के स्टेनलेस स्टील एमएसएमई क्षेत्र का जिक्र किया, जहां चीनी आयात के कारण 30-35% उद्योग जुलाई से सितंबर 2023 के बीच बंद हो गए। उन्होंने कहा कि इस स्थिति ने आर्थिक चुनौती और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर दिया है।
रमेश का दावा, भारत वैश्विक स्तर पर पीछे रह गया
उन्होंने चिंता जताई कि भारत का विनिर्माण आधार सिकुड़ता जा रहा है, जो संप्रग के कार्यकाल के 16.5% से घटकर अब 14.5% रह गया है। रमेश ने इस ओर इशारा किया कि विनिर्माण क्षेत्र में वृद्धि न होने के कारण भारत वैश्विक स्तर पर पीछे रह गया है। रमेश ने 19 जून, 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा चीन को दी गई ‘‘क्लीन चिट’’ को आने वाले खतरों का संकेत बताया और कहा कि यह भारत की क्षेत्रीय अखंडता और आर्थिक समृद्धि पर चीन द्वारा किए जा रहे नुकसान पर सरकार की ‘‘रहस्यमयी चुप्पी और निष्क्रियता’’ को उजागर करती है।