केंद्रीय चुनाव आयोग ने जब हरियाणा के विधानसभा चुनाव के तारीख की घोषणा नहीं की थी, तब तक ऐसा लग रहा था कि प्रदेश में कांग्रेस इस बार भाजपा को कड़ी टक्कर देगी। लेकिन तारीख घोषित हुई, नामांकन का आखिरी दिन भी कल तक ही है, लेकिन कांग्रेस अपने ही अंतर्विरोधों में उलझी हुई है। उसके ज्यादातर नेता या तो अपने समर्थकों को टिकट दिलाने के लिए दिल्ली में डेरा जमाए हुए हैं या फिर सिर्फ अपने ही इलाके में सक्रिय हैं। प्रदेश स्तर पर इन नेताओं की सक्रियता कतई नहीं दिखाई दे रही है। कांग्रेस नेता और पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कुमारी सैलजा और रणदीप सिंह सुरजेवाला अभी तक चुनाव प्रचार के मूड में नहीं आ पाए हैं। कांग्रेस तो अभी तक अपने सभी उम्मीदवारों की सूची तक जारी नहीं कर पाई है। सिर्फ 41 उम्मीदवार ही घोषित हुए हैं जिनमें से कई सीटों पर कांग्रेसी नेता बगावत के मूड में हैं। कल यानी 12 सितंबर को नामांकन पत्र दाखिल करने की अंतिम तारीख है।
कांग्रेस में सिर्फ दीपेंद्र सिंह हुड्डा ही सक्रिय दिखाई दे रहे हैं। वैसे कहा तो यह भी जा रहा है कि बहुत जल्दी ही हरियाणा में राष्ट्रीय नेता चुनाव प्रचार करने आएंगे। उनके कार्यक्रम तय किए जा रहे हैं, लेकिन प्रदेश में जो परिदृश्य दिखाई दे रहा है, उसको देखते हुए तो यही लगता है कि कांग्रेस चुनाव प्रचार के मामले में भाजपा से पिछड़ती हुई दिखाई दे रही है। भाजपा ने तो एक तरह से चुनाव प्रचार अभियान तब से ही शुरू कर दिया था, जब मनोहर लाल को हटाकर सरकार की कमान नायब सिंह सैनी को सौंपी गई थी। तब से सीएम सैनी किसी भी दिन चैन से नहीं बैठे। उन्होंने रोज कहीं न कहीं सभा की, जनसमस्याओं को सुलझाने के बहाने जनता से संपर्क किया।
भाजपा के नेता और प्रदेश मंत्रिमंडल के सारे मंत्री चुनावी मुहिम में काफी पहले से ही उतर चुके हैं। यही नहीं, केंद्रीय नेतृत्व ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। मनोहर लाल, कृष्णपाल गुर्जर सहित कई केंद्रीय मंत्री पिछले कई महीनों से लगातार हरियाणा में सक्रिय हैं। वे लगातार जनसभाओं को संबोधित कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी 14 सितंबर को कुरुक्षेत्र से अपनी चुनावी जनसभा का आगाज करने जा रहे हैं। इसके बाद केंद्रीय मंत्री अमित शाह, राजनाथ सिंह, जेपी नड्डा जैसे तमाम बड़े नेताओं की रैलियां होनी हैं।
यह सही है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे सहित कई बड़े नेताओं का प्रदेश में कार्यक्रम होगा, लेकिन तब तक कहीं ऐसा न हो कि हरियाणा की फिजा ही बदल जाए। भाजपा के सामने बस एक ही बात का डर है कि उनके यहां से बागी होकर किसी राजनीतिक दल या निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी कहीं उसका खेल न बिगाड़ दें। भाजपा में दोनों सूचियां जारी होने के बाद बड़े पैमाने पर असंतोष देखने को मिला है।
-संजय मग्गू