जातिगत जनगणना पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Congress RSS:) की टिप्पणी के बाद कांग्रेस ने सवाल उठाया है कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस पर विचार करेंगे, खासकर जब आरएसएस ने इस पर अपनी मंजूरी दे दी है। सोमवार को आरएसएस ने कहा कि उसे विशेष समुदायों या जातियों के आंकड़े एकत्र करने पर कोई आपत्ति नहीं है, बशर्ते इसका उपयोग उनके कल्याण के लिए किया जाए और इसे चुनावी लाभ के लिए राजनीतिक औजार के रूप में नहीं इस्तेमाल किया जाए।
Congress RSS: जयराम रमेश ने पूछा सवाल
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने आरएसएस की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “जाति जनगणना के लिए इजाजत देने वाला आरएसएस कौन है? क्या आरएसएस यह कहना चाहता है कि जाति जनगणना का दुरुपयोग चुनाव प्रचार के लिए नहीं होना चाहिए?” रमेश ने यह भी पूछा कि आरएसएस ने दलितों, आदिवासियों और ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) के लिए आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा को हटाने के संवैधानिक संशोधन की आवश्यकता पर चुप्पी क्यों साध रखी है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि आरएसएस को स्पष्ट रूप से बताना चाहिए कि वह जाति जनगणना के पक्ष में है या इसके खिलाफ। उन्होंने आरोप लगाया कि संघ परिवार संविधान के बजाय मनुस्मृति के पक्ष में है और इसे दलित, आदिवासी और पिछड़े वर्गों की भागीदारी की चिंता नहीं है।
जाति और जाति-संबंध हिंदू समाज के लिए एक बहुत संवेदनशील मुद्दा: सुनील आंबेकर
आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने पलककड, केरल में मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि जाति और जाति-संबंध हिंदू समाज के लिए एक “बहुत संवेदनशील मुद्दा” है और इसे “हमारी राष्ट्रीय एकता और अखंडता” के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। उन्होंने जातिगत जनगणना के संबंध में कहा कि यह गंभीरता से किया जाना चाहिए और इसे केवल चुनावी राजनीति के आधार पर नहीं किया जाना चाहिए। आंबेकर ने कहा कि यह विशेष समुदायों और जातियों के कल्याण के लिए आंकड़े एकत्र करने की आवश्यकता है और इसे अच्छे तरीके से किया जाना चाहिए। आरएसएस का यह बयान विपक्षी दलों द्वारा जाति आधारित जनगणना की मांग को लेकर अभियान चलाने के बीच आया है।
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