उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार(Court Sisodia:) को आम आदमी पार्टी (आप) के नेता मनीष सिसोदिया की जमानत शर्तों में ढील देने संबंधी याचिका पर सुनवाई करने पर सहमति जताई। वर्तमान जमानत शर्तों के तहत, सिसोदिया को दिल्ली आबकारी नीति से संबंधित भ्रष्टाचार और धन शोधन मामलों में प्रत्येक सोमवार और बृहस्पतिवार को जांच अधिकारी के समक्ष उपस्थित होना आवश्यक है। न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति के. वी. विश्वनाथन की पीठ ने सिसोदिया के आवेदनों पर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
सर्वोच्च (Court Sisodia:)न्यायालय ने 9 अगस्त को कथित दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार और धन शोधन के मामलों में सिसोदिया को जमानत दी थी, यह कहते हुए कि बिना सुनवाई के 17 महीने तक जेल में रहने से उनके शीघ्र सुनवाई के अधिकार का उल्लंघन हुआ था। अदालत ने जमानत के तहत शर्त रखी थी कि सिसोदिया प्रत्येक सोमवार और बृहस्पतिवार को सुबह 10 से 11 बजे के बीच जांच अधिकारी को रिपोर्ट करेंगे।
शुक्रवार(Court Sisodia:) को सुनवाई के दौरान सिसोदिया की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि आम आदमी पार्टी के नेता 60 बार जांच अधिकारियों के समक्ष पेश हो चुके हैं। उन्होंने सिसोदिया को एक सम्मानित व्यक्ति बताया। सिंघवी ने यह भी कहा कि उच्चतम न्यायालय ने मामले के अन्य आरोपियों पर भी ऐसी ही शर्तें लगाई थीं, लेकिन ईडी ने अन्य सभी आरोपियों को अनापत्ति प्रमाण पत्र दे दिया था। पीठ ने कहा, “अगली सुनवाई में हम स्पष्ट करेंगे।” शीर्ष अदालत ने नोटिस जारी करते हुए दो सप्ताह में जवाब मांगा है।
दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार और धन शोधन के मामलों में सीबीआई और ईडी दोनों ने गिरफ्तार किया था। उन्हें 26 फरवरी, 2023 को सीबीआई ने 2021-22 की दिल्ली आबकारी नीति के निर्माण और कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं के लिए गिरफ्तार किया था। अगले महीने, 9 मार्च, 2023 को ईडी ने भी उन्हें सीबीआई की प्राथमिकी के आधार पर दर्ज धन शोधन के मामले में गिरफ्तार किया। सिसोदिया ने 28 फरवरी, 2023 को दिल्ली मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था।
दोनों मामलों में सिसोदिया को जमानत देने के अपने 9 अगस्त के फैसले में शीर्ष अदालत ने कहा था कि अब समय आ गया है कि निचली अदालतें और उच्च न्यायालय इस सिद्धांत को स्वीकार करें कि “जमानत नियम है और जेल अपवाद।” न्यायालय ने कहा कि 17 महीने तक जेल में रहने और मुकदमा शुरू नहीं होने के कारण सिसोदिया को शीघ्र सुनवाई के अधिकार से वंचित किया गया। शीर्ष अदालत ने उन्हें 10 लाख रुपये का जमानत बांड और इतनी ही राशि की दो जमानतें जमा करने का निर्देश दिया था।