वर्तमान समय में विश्व भर में फैले इंटरनेट का सहारा लेकर ही साइबर अपराधी, साइबर क्राइम को अंजाम देते है। तकनीक ने लोगों की जिंदगी को जितना आसान और सुविधाजनक बनाया है, उसी अनुपात में जोखिम भी पैदा किए हैं। देश में साइबर अपराध से जुड़ी घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। 2018 से 2020 के बीच ऐसी 1,22,018 वारदात सामने आईं। वहीं 2018 के मुकाबले 2020 में 23787 मामलों की वृद्धि देखी गई है। 2020 में साइबर अपराध की सर्वाधिक घटनाएं कर्नाटक, महाराष्ट्र, तेलंगाना और असम में दर्ज हुई हैं।
2022 में क्रेडिट और डेबिट कार्ड धोखाधड़ी के कुल 1,318 मामले सामने आए। इस वर्ष दो लाख से अधिक साइबर फ्रॉड की शिकायतें दर्ज की गई हैं। आज कल लोगों के पास एक अज्ञात यानि अनजान नंबर से कॉल आते हैं और वो आपके पास बाद में लिंक भेजते हैं जैसे ही व्यक्ति उस लिंक पर क्लिक करता है वैसे ही उसके बैंक से पैसे गायब हो जाते हैं।
हाल ही में नोएडा पुलिस ने ठगी करने वाले एक गैंग को गिरफ्तार किया है जिन्होंने लोगों से करोड़ों की ठगी की है। साइबर अपराध ने कई लोगों का जीवन बर्बाद कर दिया है। साइबर अपराध में शामिल लोगों को हैकर के नाम से जाना जाता है। साइबर अपराधी ने लोगों का सारा पैसा ऑनलाइन चोरी कर लिया। इससे उनकी आर्थिक स्थिति काफी कमजोर हो गई है। कंपनी के स्तर पर अगर हम देखें तो कंपनी में ऐसी कुछ चीजें होती हैं जो काफी गोपनीय होती हैं। ऐसे में अगर कोई उन्हें चोरी कर ले तो कंपनी को अरबों खरबों का नुकसान होता है।
साइबर अपराध का सबसे जटिल पक्ष यह है कि विश्व के किसी भी कोने में बैठकर इस अपराध को अंजाम दिया जा सकता है। वर्तमान में ऑनलाइन धोखाधड़ी, हैकिंग, फिशिंग बुलिंग इत्यादि जैसी समस्या से पूरा विश्व पीड़ित है। यहाँ तक कि विश्व का सर्वाधिक शक्तिशाली देश अमेरिका भी इससे अछूता नहीं है।
हैकिंग को लोगों ने आज रुचि व व्यवसाय बना लिया है। विश्व के सभी देशों के सरकारी संस्थानों की साइट को कभी-कभी हैक करने का प्रयास किया जाता है। अश्लील साइट्स भी साइबर अपराध के अन्तर्गत आती हैं। युवा वर्ग तेजी से इसकी गिरफ्त में आ जाता है। इस प्रकार की साइटें सांस्कृतिक और वैचारिक रूप से समाज में गन्दगी फैला रही हैं। साइबर क्राइम के माध्यम से आज धार्मिक राजनीतिक उन्माद भी पैदा कर दिया जाता है। आज आतंकवादी भी साइबर क्राइम के माध्यम से दहशत फैला रहे हैं।
इससे बचने के लिए बेहतर है कि अपनी ईमेल/जीमेल का पासवर्ड कहीं पर ना लिखें और ना ही कोई मोबाइल नोटपैड ऐप पर लिखें। आईडी पासवर्ड हमेशा याद रखें। समय समय पर अपनी आईडी का पासवर्ड बदलते रहें। लॉगिन यूजरनेम और पासवर्ड भी गोपनीय रखें। मोबाइल फोन और लैपटॉप में एंटीवायरस रखें जो समय समय पर ऑटोमैटिक वायरस को नष्ट करता रहता है। मोबाइल या कंप्यूटर किसी दूसरे व्यक्ति को बेचने से पहले गूगल अकाउंट में जाकर अपनी आईडी रिमूव जरूर करें।
अनजान मैसेज लिंक या मोबाइल पर आए नोटिफिकेशन पर बिना जानकारी के क्लिक न करें, उसे रिमूव कर दें। कौन बनेगा करोड़पति, आप बाइक जीते हैं ऐसे लालच भरे कॉल के चक्कर में ना पड़ें। ऐसे फर्जी नंबर को तुरंत ब्लॉक करे। गूगल पर बहुत सी छोटी और बड़ी कंपनियों के नाम के फर्जी टोल फ्री नंबर होते है। आपको बिना जानकारी के ऐसे नम्बर पर अपनी कोई जानकारी शेयर नहीं करनी है। टोल फ्री नंबर पाने का सबसे अच्छा तारीका है कि आप संबंधित कंपनी की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाएं और वहां से टोल फ्री नंबर प्राप्त करें।
कॉल पर किसी भी सरकारी योजना या बैंक के नाम से आए फर्जी कॉल से सावधान रहें। जल्दबाजी और ऐसे कॉल पर विश्वास करना मतलब आपका डेटा चोरी हो सकता है जैसा कि आज कल हो रहा है। साइबर अपराधी बड़े शातिर तरीके से ऐसी घटनाओं को अंजाम देते हैं। हालांकि साइबर सेल के गठन होने से कई गिरोह का पदार्फाश हुआ है। जरूरी है इन पर प्रशासन पैनी नजर लगातार बनाए रखे। देश में सूचना प्रौद्योगिकी कानून के तहत किसी भी तरह का साइबर अपराध करना दंडनीय अपराध है। (यह लेखिका के निजी विचार हैं।)
-वर्षा राठौर