दिल्ली उच्च न्यायालय ने ‘बोरोलीन’(Delhi HC Boroline: ) को ट्रेडमार्क अधिनियम के तहत “सुप्रसिद्ध ट्रेडमार्क” के रूप में मान्यता दी है और एक अन्य कंपनी को अपनी क्रीम की ‘ट्रेड ड्रेस’ बदलने का निर्देश दिया है। अदालत ने पाया कि प्रतिवादी कंपनी द्वारा बनाई जा रही क्रीम का स्वरूप ‘बोरोलीन’ से बहुत मिलता-जुलता है, जो उपभोक्ताओं के बीच भ्रम पैदा कर सकता है।अदालत का यह निर्णय जी.डी. फार्मास्यूटिकल्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा दायर वाद पर आधारित है, जिसमें कंपनी ने ‘बोरोब्यूटी’ नामक एक एंटीसेप्टिक क्रीम के खिलाफ मामला दर्ज किया था। वादी कंपनी, जो ‘बोरोलीन’ एंटीसेप्टिक क्रीम का स्वामित्व और विपणन करती है, ने तर्क दिया कि प्रतिवादी कंपनी सेंटो प्रोडक्ट्स (इंडिया) ने अपनी क्रीम के लिए बोरोलीन की ट्रेड ड्रेस को अपनाया, जो बौद्धिक संपदा कानून का उल्लंघन है।
Delhi HC Boroline: बोरोब्यूटी’ में कॉपी किया था
‘बोरोलीन’ की ट्रेड ड्रेस को विशिष्ट गहरे हरे रंग की ट्यूब जिस पर अष्टकोणीय काले रंग का ढक्कन होता है के रूप में वर्णित किया गया है, जिसे प्रतिवादी कंपनी ने अपने उत्पाद ‘बोरोब्यूटी’ में कॉपी किया था। अदालत ने इस पर गंभीरता से विचार किया और पाया कि ‘बोरोलीन’ का बाजार में उच्च प्रतिष्ठा और व्यापक पहचान है, जो न केवल भारत में बल्कि ओमान और तुर्की जैसे अन्य देशों में भी मशहूर है।
दो लाख मुआवजा देने का निर्देश
न्यायमूर्ति मिनी पुष्कर्णा ने इस मामले में प्रतिवादी कंपनी को ‘बोरोब्यूटी’ क्रीम के मौजूदा स्वरूप में निर्माण और बिक्री पर रोक लगाने का आदेश दिया। साथ ही, अदालत ने प्रतिवादी को निर्देश दिया कि वह अपने उत्पाद की ‘ट्रेड ड्रेस’ और ट्रेडमार्क को पूरी तरह से बदल दे ताकि वह ‘बोरोलीन’ के सुप्रसिद्ध ट्रेडमार्क और ट्रेड ड्रेस से पूरी तरह भिन्न हो। अदालत ने इसके अलावा प्रतिवादी को वादी कंपनी को दो लाख रुपये का मुआवजा देने का भी निर्देश दिया, जिससे वादी कंपनी को हुए नुकसान की आंशिक भरपाई की जा सके।